आज के समय की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई भी व्यक्ति खुद के स्वास्थ्य के ऊपर ठीक से ध्यान नहीं दे पाता जिसकी वजह से पेट की बीमारी से सबसे ज्यादा लोग ग्रसित रहते हैं और पेट के रोग में सबसे ज्यादा प्रचलित रोग है कब्ज। यदि विशेषज्ञों की मानें तो भारत में हर तीसरा व्यक्ति कब्ज की शिकायत से परेसान रहता है। वैसे देखा जाये तो ये रोग हमारे खान पान और रहन सहन से उपजता है। समय पर खाना न खाना, समय पर न सोना, समय पर मलत्याग न करना ये सभी अनियमिततायें कब्ज के रोग को निमंत्रित करतीं हैं।
कब्ज क्या है (kabj kya hai):
जब किसी व्यक्ति का पेट साफ नहीं होता और वो दो तीन तक मल विसर्जन के लिए नहीं जाता या फिर मलत्याग के लिए जाने पर पेट साफ नहीं होता अथवा मल कम मात्रा में सूखा सा निकलता है जिसके कारण रोगी को लगता है कि उसका पेट साफ नहीं हुआ है तो इस रोग को कब्ज कहा जाता है।
इस रोग को मलबंध, आँत की खुश्की, और मलावरोध नाम से भी जाना जाता है। इसको इंग्लिश में constipation कहा जाता है।
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कब्ज के लक्षण:
यदि किसी व्यक्ति को constipation की सिकायत होती है तो उसके सिर में भारीपन रहता है और मल विसर्जन नियमित रूप से सही समय पर नहीं होता है।
जो व्यक्ति मलत्याग करने के लिए जाता है और बहुत देर तक बैठे रहने पर भी मल विसर्जन ठीक से नहीं होता है और बार बार जोर लगाना पड़ता है उसे constipation की सिकायत होती है।
यदि कोई व्यक्ति मलत्याग के लिए जाता है और उसका मल काले रंग का दुर्गंधित और कठोर निकलता है तो उसे इस तरह की प्रॉब्लम होती है।
जो व्यक्ति शौचालय में नियमित रूप से प्रतिदिन जाता है लेकिन फिर भी खुलकर पेट साफ नहीं होता है तो उसे समझ लेना चाहिए कि वो कब्ज की परेशानी से ग्रसित है।
यदि कोई व्यक्ति दो तीन दिन तक मल विसर्जन के लिए नहीं जाता अथवा उसका मन नहीं करता तो उसे constipation रोग होता है।
जो लोग मलत्याग करने के लिए जुलाब का सहारा लेते हैं उसके बाद भी उनका पेट साफ नहीं होता तो उन्हें constipation हो सकती है। वैसे कुछ लोगों का चाय या बीड़ी सिगरेट पिए बिना मल विसर्जन नहीं होता अथवा इन चीजों के वगैर उनका पेट साफ नहीं होता ऐसे लोगों को कब्ज रोग की परेशानी हो सकती है।
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कब्ज क्यों होती है ? कब्ज के कारण:
यदि कोई व्यक्ति बहुत कम पानी का सेवन करता है तो ये भी इस रोग की उत्पत्ति की बहुत बड़ी वजह होती है।
जो लोग अपने शरीर में हमेशा आलस को बनाये रखते हैं और बिल्कुल भी शारीरिक परिश्रम नहीं करते हैं उन्हें इस रोग से परेसान होना पड़ता है।
कुछ लोग मल विसर्जन के लिए चाय या बीड़ी का सेवन करते हैं उन्हें इसकी आदत लग जाती है फिर आगे के समय में इन चीजों के बिना उनका पेट साफ नहीं होता ऐसे व्यक्ति
यदि इन चीजों के सेवन किये बिना मलत्याग करने की कोशिश करते हैं तो उनकी कोशिश कामयाब नहीं होती और पेट साफ नहीं होता है।
जो लोग मल विसर्जन की इच्छा होने पर भी शौचालय नहीं जाते हैं और उसे अधिक समय तक रोककर रखते हैं तो वो ऐसा करके इस बीमारी को आमंत्रित करते हैं।
जिस व्यक्ति को भय, चिंता, क्रोध और मानसिक तनाव की समस्या लम्बे समय से बनी रहती है तो यह उनकी कब्जियत की उत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण होता है।
यदि कोई व्यक्ति अधिक परिश्रम करता है लेकिन उसके अनुरूप खाना कम खाता है तो उसे आने वाले समय में कब्ज की समस्या हो जाती है।
यदि किसी व्यक्ति को लम्बे समय से कोई बीमारी हो तो उसे इस प्रॉब्लम का भी सामना करना पड़ सकता है।
यदि भूख लगने पर भी खाना नहीं खाया जाये अथवा नियमित समय पर भोजन का सेवन न किया जाये तो ये भी इस परेशानी की उपज का बड़ा कारण होता है।
यदि किसी व्यक्ति की आँतों में किसी तरह का कोई संक्रमण हो जाये तो उसे भी कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
जो लोग ज्यादा बारीक आटा, छिलका रहित दाल, पॉलिश किये हुए चावल, छिलके निकालकर बनायीं हुयीं सब्जियाँ, सूखी सब्जी (बिना रसीली) का अत्यधिक सेवन इत्यादि कब्जियत के प्रमुख कारण होते हैं।
उपरोक्त कारणों में से यदि किसी व्यक्ति में कोई एक या एक से ज्यादा कारणों को पाया जाता है तो उसे constipation रोग से ग्रसित होना पड़ता है।
कब्ज से होने वाले रोग:
यदि किसी व्यक्ति को पुरानी कब्ज है अथवा वो लम्बे समय से constipation की प्रॉब्लम से परेसान है तो उसे आने वाले समय में बवासीर रोग जैसी खतरनाक बीमारी से सामना करना पड़ सकता है इसलिए सभी को समय रहते कब्ज का निदान कर लेना चाहिए।
यदि इस रोग को ज्यादा समय तक अनदेखा किया जाये तो आने वाले समय में रोगी को एनोरेक्सिया जैसी खतरनाक बीमारी का भी सामना करना पड़ता है।
ऐसे मरीज का मल कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसे मलत्याग करते समय अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है जिसकी वजह से गुदचीर जैसी बीमारी हो जाती है जिसे हम फिसर के नाम से भी जानते हैं।
यदि मरीज कब्ज को अनदेखा करता रहे तो आगे चलकर उसकी आँतों में सूजन, पेट फूलना जैसी गंभीर समस्यायों से गुजरना पड़ सकता है।
हार्निया, प्रोलेपस इनके अलावा भी बहुत सी कब्ज से होने वाली बीमारी हैं जो इस रोग की वजह से उत्पन्न होतीं हैं इसलिए हमेशा कब्ज निदान के लिए कोई न कोई उचित कदम समय रहते उठाना बहुत जरुरी होता है।
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कब्ज में क्या खाये:
ऐसे रोगी को सुबह पाँच से छः बजे के आस पास विस्तर छोड़ देना चाहिए और मुँह साफ करके एक गिलास ठंडे पानी का सेवन करना चाहिए और उसके तुरंत बाद नहाना बहुत लाभकारी होता है।
ऐसे मरीज को कब्ज से छुटकारा पाने के लिए पका हुआ अमरुद, उबली हुयी गाजर और ज्यादा से ज्यादा पपीता का सेवन करना अतिउत्तम होता है।
ऐसे व्यक्ति को कब्ज निवारण के लिए हरे पत्तों वाली सब्जियों अथवा उनका सूप शाम के समय भोजन के साथ लेने से दूसरे दिन सुबह खुलकर मल विसर्जन हो जाता है जिससे पेट साफ रहता है।
ऐसे रोगी को खुले में रखा हुआ भोजन, तेल युक्त भोजन, मशलेदार आहार लेना पूर्णतः वर्जित होता है इसलिए इन चीजों के सेवन से हमेशा दूरी बनायें रखना चाहिए।
ऐसे मरीज को कब्ज नाशक उपचार के दौरान हल्का, सादा और सिर्फ पौष्टिक आहार ही लेना अधिक गुड़कारी रहता है।
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कब्ज के घरेलू उपचार (kabj ke gharelu nuskhe):
वैसे तो कब्ज के उपाय बहुत से हैं लेकिन में यहाँ सिर्फ उनके बारे में बताऊंगा जिन्हें आप आसानी से घर पर रहकर प्रयोग कर सकते हैं –
एक गिलास गर्म दूध लीजिये और उसमें दो चम्मच शुध्ह घी मिलाकर रात को सोने से ठीक पहले सेवन करने से सुबह पेट साफ हो जाता है इसे कब्ज के इलाज के लिए सर्वोत्तम उपयोग माना जाता है।
दो चम्मच ईसबगोल को एक गिलास दूध में मिलाकर शाम के भोजन के बाद प्रतिदिन सेवन करने से सुबह बढ़िया पेट साफ हो जाता है इसे भी कब्ज का निवारण करने के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है।
एक गिलास ठंडा पानी लीजिये और उसमें एक चम्मच अलसी पाउडर मिलाकर प्रतिदिन रात को सोने से ठीक पहले सेवन कीजिये इससे सुबह पेट साफ हो जाता है ये भी अच्छा कब्ज का इलाज माना जाता है।
एक गिलास गर्म दूध लीजिये और उसमें एक चम्मच बादाम का तेल मिलाकर रात को सोने से पहले सेवन कीजिये इससे भी सुबह मल साफ हो जाता है ये भी एक बढ़िया कब्ज नाशक उपाय के रूप में जाना जाता है।
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कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (constipation treatment in hindi):
इस रोग के इलाज को आयुर्वेद में दो तरह से ठीक किया जा सकता है पहला टेबलेट का सेवन करके और दूसरा सीरप का सेवन करके। लेकिन ध्यान रहे एक साथ टेबलेट और syrup का इस्तेमाल नहीं करना है बल्कि किसी एक का ही प्रयोग करना है।
कब्ज के लिए टेबलेट:
Tablet Name | निर्माता आयुर्वेदिक कंपनी | सेवन विधि |
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1. लेक्सोरिन (Laxorin) | Himalaya | रात को सोने से पहले एक गोली प्रतिदिन सेवन कीजिये। |
2. अभ्यासन (Abhayasan) | Jhandu | हल्के गुनगुने पानी के साथ एक गोली रात में सोने से पूर्व लेना चाहिए। |
3. जुलाबिन (Zulabin) | Dabur | रात को सोने से पहले एक गोली पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। |
4. डी-लेक्स (D-Lex) | Arya | एक गोली रात को सोने से पूर्व गुनगुने पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। |
कब्ज के लिए सीरप:
Syrup Name | निर्माता आयुर्वेदिक कंपनी | सेवन विधि |
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1. लिवरोल (Livrol) | Baidyanath | छोटे बच्चों को आधा चम्मच सुबह शाम और बड़ों को एक एक चम्मच सुबह शाम भोजन उपरांत सेवन करना चाहिए। |
2. लिवोमिन (Livomin) | Charak | एक चम्मच दिन में दो बार सुबह शाम बड़ी उम्र के व्यक्ति सेवन कर सकते हैं और छोटे बच्चों को आधा चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद सेवन करा सकते हैं। |
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