काली मिर्च की खेती प्रमुख रूप से गर्म प्रदेशों में सर्वाधिक रूप से की जाती है। यह बेल प्रजाति का पौधा होता है जो जमीन पर लेटा हुआ रहता है या किसी लकड़ी वगैरह के सहारे के साथ ऊपर चढ़ जाता है। काली मिर्च के पत्ते पाँच से सात इंच लम्बे तथा दो से पाँच इंच तक चौड़े नुकीले गोलाकार तथा पान के पत्तों के समान चिकने होते हैं। इसके फल मटर के दानों की तरह गुच्छों में आते हैं। फल कच्चे में हरे तथा पकने पर काले रंग के हो जाते हैं।
काली मिर्च को मश्ची, मिरी, कालांमरी, गोलमिर्च, मश्चीवेल्ल, कृष्णादि इत्यादि भी नामों से जाना जाता है। जैसा कि मैंने ऊपर बताया है कि इसके हर गाँठ से बेल निकलती है जो वृक्ष आदि से लिपट जाती है। काली मिर्च की तासीर गर्म होती है इसे इंग्लिश में Black pepper कहा जाता है।
काली मिर्च के औषधीय गुण:
बुखार में भूख न लगना –
यदि किसी व्यक्ति के बुखार आने पर भूख न लग रही हो तो काली मिर्च का चूर्ण गुड़ के साथ जीरे के बारीक चूर्ण लेने से भूख लगने लगती है। इससे बुखार में भी आराम मिलता है और पेसाब भी साफ आता है।
सिर दर्द –
काली मिर्च तथा प्याज को पीसकर उसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर सिर पर लेप करने से सिर में दर्द होना बंद हो जाता है।
दांतों का दर्द –
कालीमिर्च को बारीक पीसकर दांतों को निचले हिस्से मसूड़ों पर ऊँगली से लगाने से दांत दर्द में आराम मिल जाता है।
अंडकोष का बढ़ जाना –
5 ग्राम काली मिर्ची और 10 ग्राम जीरा लीजिये और इन दोनों को पानी में पीसकर गर्म कीजिये फिर इसमें आधा लीटर गुनगुना पानी मिलाकर कुछ समय तक अण्डकोशों को धोने और मालिस करने से उनका बढ़ना बंद हो जाता है और कुछ ही दिनों के प्रयोग से पूरी तरह अंडकोष की सूजन खत्म हो जाती है।
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पेट के कीड़े मारना –
1 ग्राम पिसी हुयी काली मिर्च को एक गिलास छाछ में मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े मरकर बाहर निकल जायेंगे।
पेसाब रुक रुककर आना या जलन होना –
यदि पेसाब रुक रूककर आ रही हो या फिर पेसाब करते समय जलन हो रही हो तो काली मिर्ची के पाउडर को देशी घी में मिलाकर पेसाब नली के छिद्र को ऊपर की तरफ उठाकर उस पर 2-4 बूंदें टपकायें। इससे पेसाब खुलकर होने लगेगी और जलन भी बंद हो जाएगी। यदि प्रॉब्लम एक बार में खत्म न हो तो इसे दिन में 2-3 बार दोहरा सकते हैं।
खाँसी की समस्या –
- एक चम्मच काली मिर्च का पाउडर 50 ग्राम गुण के साथ मिक्स करके इसकी गोलियां बना लीजिये। एक एक गोली प्रतिदिन सुबह शाम चूसने से खाँसी पूरी तरह ठीक हो जाएगी।
6-7 काली मिर्ची पीसकर एक चम्मच घी में मिलाकर चाटने से सूखी खाँसी में आराम मिल जायेगा और गला भी एक दम साफ हो जायेगा। - कालीमिर्च और मिश्री दोनों को समान मात्रा में लेकर पीस लीजिये और फिर थोड़ा सा घी मिलाकर गोलियाँ बनाकर रख लीजिये। अब इन गोलियों को प्रतिदिन सुबह शाम एक एक गोली के हिसाब से चूसना है। इससे हर तरह की खाँसी ठीक हो जाती है।
- कालीमिर्च को मुँह में रखकर चूसते रहने से सूखी खाँसी में जल्दी आराम मिल जाता है।
- चार पाँच काली मिर्च और एक चौथाई चम्मच सोंठ पाउडर तथा एक चम्मच शहद तीनों को मिलाकर चाटने से कफ वाली खाँसी ठीक हो जाती है।
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पेट में दर्द –
कालीमिर्च, सोंठ और हींग तीनों को समान मात्रा में पीसकर गर्म पानी के साथ आधा आधा चम्मच प्रतिदिन दो बार लेने से पेट दर्द की समस्या नष्ट हो जाती है।
चक्कर आना –
8-10 कालीमिर्च पीसकर इन्हें घी में तल लीजिये और अब उस घी को निकाल लीजिये अब इसमें गेंहूँ का आटा सेंककर गुड़ या चीनी डालकर हलुया बना लीजिये। अब उसमें तली हुयी कालीमिर्च डालकर भोजन सेवन करने से पहले खाने से सिर का चकराना बंद हो जाता है।
पागलपन की बीमारी –
10 काली मिर्च और 5 ग्राम ब्राह्मी की पत्तियाँ दोनों को अच्छी तरह पीस लें।फिर इन्हें आधा गिलास पानी में डालकर स्वच्छ कपड़े से छान लीजिये। इस पानी को दिन में दो बार पीने से पागलपन में बहुत अच्छा लाभ मिलता है।
सर्दी जुकाम –
यदि किसी व्यक्ति को जुकाम की प्रॉब्लम हो जाये तो उसे रात के समय 7-8 कालीमिर्च के दाने चबाकर ऊपर से गर्म दूध का सेवन करने पर जुकाम में आराम मिल जाता है।
पिसी हुयी कालीमिर्च में दही और गुण मिलाकर डेली दो बार खाने से बिगड़ा हुआ जुकाम ठीक हो जाता है।
गला बैठ जाना –
थोड़ी सी पिसी हुयी काली मिर्च में थोड़ा सा देशी घी मिला लीजिये और अब इसे भोजन सेवन करने से पहले चाटें। इससे गला साफ हो जायेगा।
पलकों की सूजन –
पिसी हुयी काली मिर्ची को ताजे मख्खन में मिलाकर कुछ दिनों तक नियमित रूप से चाटते रहें कुछ ही दिन में पलकों की सुजन खत्म हो जाएगी। इससे आँखों की रौशनी भी बढ़ जाती है।
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मानसिक कमजोरी –
5-7 काली मिर्च और 30 ग्राम मख्खन तथा थोड़ी सी शक्कर इन तीनों को मिलाकर प्रतिदिन सुबह चाटने से मानसिक कमजोरी नष्ट हो जाती है और याददास्त भी स्ट्रोंग हो जाती है।
दमा की सिकायत –
3 ग्राम हल्दी और 5-6 काली मिर्च के दाने दोनों को बारीक पीसकर 6 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर सुबह के समय चाटिये। यह दमा के रोगियों के लिए सबसे बढ़िया नुस्खा है।
फेफड़ों के रोग –
सर्दी की वजह से फेफड़ों में एंठन एवं कफ की घड़घड़ाहट होने पर पिसी हुयी काली मिर्च का सेवन गाय के दूध के साथ दो तीन दिनों तक सेवन करें। इससे कफ की समस्या ठीक हो जाएगी।
स्वांस की बीमारी –
कालीमिर्च तथा मिश्री का चूर्ण दोनों को मलाई के साथ खाने से श्वांस रोग ठीक हो जाता है। इस नुस्खे से पुरानी खाँसी भी जल्दी ठीक हो जाती है।
रूसी तथा जुंए हो जाना –
8-10 कालीमिर्च और 15 सीताफल के सूखे बीज, दोनों को पानी में पीसकर शुद्ध घी में मिलाकर रात को सिर पर लगा लें और सुबह के समय सिर को अच्छी तरह साफ कर लें। इससे सिर के जुंए तथा रूसी दोनों नष्ट हो जायेंगे औए बाल भी लम्बे होने लगेंगे।
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आधे सिर का दर्द –
10 ग्राम काली मिर्च चबा चबाकर खाएं फिर ऊपर से 20-30 ग्राम देशी घी पी लें आधासीसी का दर्द या आधे सिर का दर्द तुरंत नष्ट हो जायेगा।
रतौंधी रोग (रात में कम दिखाई देना) –
कालीमिर्च को गाय के ताजा दही में घिसकर सुबह शाम आँख में लगाने से रतौंधी रोग में चमत्कारिक लाभ मिलता है।
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वीर्य का पतलापन –
10 काली मिर्च, 250 ग्राम दूध में डालकर अच्छी तरह गर्म करें और जब दूध आधा रह जाये तो उसे ठंडा करके छान लें। इसके बाद सभी कालीमिर्च खाकर ऊपर से दूध सेवन करने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है। इस प्रयोग को कम से कम 21 दिनों तक लगातार उपयोग करना लाभदायक होता है।
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