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जलमेह Diabetes Insipidus के लक्षण एवं आयुर्वेदिक इलाज

01/11/2018 by Hindi Health Gyan 3 Comments

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जब किसी व्यक्ति को बार बार पेशाब आता रहता है और जल्दी जल्दी प्यास लगती है तो इस रोग को जलमेह रोग कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में diabetes insipidus भी कहा जाता है। जिस व्यक्ति को जलमेह की बीमारी हो जाती है तो वह लगातार पेशाब करने के लिए भागता रहता है। ऐसे रोगी के मूत्र में शुगर की मात्रा नहीं जाती है जिसकी वजह से मूत्र नार्मल की तरह ही प्रतीत होता है जिसे Polyuria कहा जाता है। ऐसे रोगी की गंभीर अवस्था में शरीर का वजन बहुत ज्यादा कम हो जाता है, इसे कुछ लोग उदकमेह नाम से भी जानते हैं।

जलमेह Diabetes Insipidus के लक्षण एवं आयुर्वेदिक इलाज की जानकारी

जलमेह के लक्षण (Diabetes insipidus symptoms in Hindi):

इस डायबिटीज रोग की पहचान निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए की जा सकती है –

  • जिस व्यक्ति को लगातार और बार बार पेशाब करने जाना पड़ता है, लगभग एक दिन में 6-7 लीटर मूत्र त्याग करता है उसे जलमेह जैसी बीमारी हो सकती है।
  • ऐसे रोगी को अत्यधिक रूप से और बार बार प्यास लगती है जिसकी वजह से उसके शरीर में यूरिन की मात्रा ज्यादा रिलीज होती है। ऐसा रोगी जितना ज्यादा पानी पीता है उतना ही ज्यादा उसे मूत्र विसर्जन के लिए जाना पड़ता है।
  • ऐसा मरीज यदि प्यास पर कण्ट्रोल करते हुए पानी कम पीता है तो उसके शरीर में शुष्कता डिहाइड्रेशन बढ़ने लगती है। प्यास ज्यादा लगने के कारण रोगी का मुँह हर समय सूखा सूखा सा ही बना रहता है।
  • Diabetes insipidus या जलमेह को गंभीर अवस्था में पहुँचने पर रोगी को बहुत ज्यादा भूख लगने लगती है जिसकी वजह से वो बहुत ज्यादा खाना खाने लगता है।
  • ऐसा रोगी शारीरिक रूप से बहुत ज्यादा कमजोर होता चला जाता है।
  • शरीर की पूरी त्वचा सूखी सूखी रहने लगती है।
  • जलमेह के रोगी के मूत्र में शुगर की मात्रा नहीं होती है जबकि मधुमेह के रोगी के मूत्र में शुगर भारी मात्रा में जाती है।
  • ऐसे रोगी को कभी कभी बुखार भी आने लगता है जो कुछ समय पश्चात स्वयं ठीक हो जाता है।
  • रोगी का स्वाभाव चिडचिडा हो जाता है और सिर के पीछे की तरफ दर्द होने लगता है।
  • मांसपेसियों में दर्द होता है तथा रात्रि में सोते समय भी बार बार मूत्र त्याग के लिए उठने की वजह से नींद पूरी नहीं हो पाती है।

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जलमेह के कारण:

यह बीमारी ज्यादातर शरीर में वैसोप्रेसिन की कमी के कारण होती है जिसके निम्नलिखित कारण होते हैं –

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  • पीयूस ग्रंथि में बड़ी समस्या उत्पन्न होने के कारण Diabetes insipidus जैसी गंभीर प्रॉब्लम उत्पन्न हो जाती है।
  • यदि व्यक्ति के शरीर में उपस्थित पीयूस ग्रंथि सम्पूर्ण तरीके से काम नहीं करती उस स्थिति में भी यह रोग उत्पन्न हो जाता है।
  • उदकमेह के उत्पन्न होने का कारण पिट्यूटरी के पिछले खण्ड Posterior lobe से एंटी यूरेटिक हार्मोन का स्त्राव कम हो जाता है।
  • यह बीमारी सामान्यतः महिलायों की अपेक्षा पुरुषों में बीच की उम्र या बचपन की उम्र में सर्वाधिक होता है।
  • कुछ रोगियों में जलमेह वंसागत (दादा परदादायों के कारण) होता है या ऐसा भी कह सकते हैं कि पारिवारिक होता है।
  • यह रोग कुछ लोगों के सिर में चोट लग जाने के कारण भी हो जाता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में हाईपोथैलेमस या पिट्यूटरी का पिछला भाग रोग ग्रस्त हो जाता है।

अभी आपने जलमेह रोग को उत्पन्न करने वाले कारणों के बारे में जाना है, अब में आपको ये बताने वाला हूँ कि यदि किसी व्यक्ति को यह Diabetes insipidus हो जाये और वह समय पर इलाज नहीं लेता है तो इसका परिणाम क्या होगा ?

जी हाँ दोस्तों यदि यह रोग अपनी उग्र अवस्था में पहुँच जाता है तो यही रोग मधुमेह या डायबिटीज का रूप धारण कर लेता है, मतलब मधुमेह के सारे लक्षण मिलने लगते हैं जैसे – भूख बहुत ज्यादा लगना, शारीरिक कमजोरी (Weakness), रुखी त्वचा इत्यादि।

बार बार पेशाब जाने के कारण रोगी रात्रि के समय में भी चैन से सो नहीं पाता है जिसकी वजह से रोगी का शरीर अन्दुरूनी रूप से कमजोर होता चला जाता है। यदि किसी टीबी के मरीज को यह रोग उत्पन्न हो जाये तो उसकी मौत होना निश्चित हो जाती है।

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जलमेह का आयुर्वेदिक उपचार:

टेबलेट & कैप्सूल Name निर्माता कंपनी सेवन विधि
 मधुमेहान्तक कैप्सूल  गर्ग  एक एक कैप्सूल सुबह शाम दिन में दो बार भोजन करने के बाद सादा पानी के साथ।
 मायकोन टेबलेट  जमना  एक एक गोली सुबह शाम सादा पानी के साथ लगातार 3 महीने तक सेवन करने से रोग मुक्त हो सकते हैं।
 मधुमेहारी योग  वैद्ध्नाथ  एक एक गोली दिन में दो बार आहार उपरांत पानी के साथ।

जलमेह के रोगी के लिए परहेज:

  • ऐसे रोगी को चाय, कॉफी, शराब इत्यादि का सेवन करना पूर्णतः वर्जित होता है, अतः इस तरह के मूत्र वर्धक पदार्थों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • आहार के रूप में पतली पतली चपातियाँ और हरी सब्जियां लेनी चाहिए।
  • फलों में मीठे फलों का जूस या फल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • ऐसे मरीज को करेले की सब्जी का हफ्ते में तीन दिन सेवन करना अतिउत्तम माना जाता है।
  • ऐसे रोगी को तले हुए भोजन या अन्य किसी प्रकार के मिर्च मशलेदार खाद्य पदार्थों का सेवन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए।
  • दूध या इससे बनने वाले उत्पादों जैसे दही, पनीर, आइसक्रीम इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
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Comments

  1. Parveen Kumar says

    04/11/2018 at 5:54 PM

    bahut achhi jankari thanks for sharing…

    Reply
  2. Kartik says

    16/11/2018 at 10:21 AM

    आपने जो गोली का नाम लिखा है वहां गोली मुझे कहां मिल जाएगा

    Reply
    • Hindi Health Gyan says

      16/11/2018 at 3:23 PM

      यह गोली आपको किसी भी बड़े मेडिकल पर मिल जाएगी लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के सेवन करना सही नहीं है.

      Reply

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