डायबिटीज को करें जड़ से ख़त्म

डायबिटीज एक भयभीत कर देने वाला रोग है। विश्व के ज्यादातर लोग इस बीमारी के शिकार हैं। भारत में भी इस तरह के रोगियों की संख्या करोड़ों में हो चुकी है। वयस्क ही नहीं कई मासूम बच्चे भी इस रोग के शिकार हो चुके हैं। एक समय था जब इस रोग को अमीरों का रोग समझा जाता था, लेकिन आज के रहन सहन में इस बीमारी ने अपनी सीमाएं तोड़ दी हैं और यह गरीब गुरबा लोगों को भी अपना शिकार बना रहा है। शुरू शुरू में 50 की उम्र पार कर चुके स्त्री पुरुष ही इसके शिकार होते थे, लेकिन आज कल किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति पर इस रोग का आक्रमण हो जाता है।

डायबिटीज, शुगर के लक्षण, देशी एवं आयुर्वेदिक इलाज

डायबिटीज के लक्षण:

इसका सबसे बड़ा लक्षण है कि व्यक्ति को पेशाब मार्ग से शर्करा का जाना। लेकिन आमतौर पर रोगी को लम्बे समय तक इसकी जानकारी नहीं हो पाती है। लेकिन हाँ उसे शारीरिक कमजोरी जरुर महशूश होती है। मरीज काफी समय तक यही नहीं समझ पाता कि आखिर उसका शरीर तेजी से निर्बल क्यों होता जा रहा है। बाद में डॉक्टर की सलाह से जब वह अपने रक्त और मूत्र का परिक्षण करवाता है तब मालूम चलता है कि वह तो डायबिटीज या शुगर रोग का शिकार हो चुका है।

  • ऐसे रोगियों को प्यास बहुत लगती है। वह बार बार पानी पीता है लेकिन उसकी प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं लेती।
  • रोगी के शरीर में जहाँ तहां चीटियों के काटने जैसी चुभन होती है।
  • शरीर में जहाँ तहाँ खुजली की शिकायत होती है, खासकर गुप्तांगों पर।
  • ऐसा रोगी पानी बहुत पीता है जिसकी वजह से उसे बार बार पेशाब करने की समस्या होती है।
  • शारीरिक रूप से दुर्बलता आ जाती है जिसकी वजह से उसकी द्रष्टि भी कमजोर होने लगती है और उसमें द्रष्टि दोष उत्पन्न हो जाता है। मतलब आँखों से कम दिखने लगता है।
  • पुरुष रोगियों की मर्दाना ताकत कमजोर होने लगती है, यहाँ तक कि कुछ रोगी तो नपुंसकता की कगार पर भी पहुँच जाते हैं।

डायबिटीज के कारण:

शुगर को लेकर किये गए शोधों के अनुसार शरीर में शर्करा की मात्रा बढ़ जाने से इस रोग का तेजी से विकास होता है और शर्करा की मात्रा बढ़ने का एक मात्र कारण है अत्यधिक मिठाइयों का सेवन।

हम लोग जो भी भोजन सेवन करते हैं उसमें थोड़ी बहुत शर्करा (शुगर) की मात्रा भी होती है। शरीर में पैनक्रियाज नामक ग्रंथि ऐसे हार्मोन को उत्पन्न करती है जो भोजन की शर्करा को ग्लूकोज में बदल देती है। किन्तु जब कोई व्यक्ति आवश्यकता से अधिक चीनी, गुड़ एवं मिठाईयों का सेवन करता है तो शरीर में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, इस शर्करा को पचाने के लिए पैनक्रियाज ग्रंथि उतना अधिक इन्सुलिन उत्पन्न नहीं कर पाती, जिसकी वजह से शरीर में आवश्यकता से अधिक पहुँच चुकी शर्करा ग्लूकोज में नहीं बदल पाती और सीधी जाकर ब्लड में मिल जाती है।

इस प्रकार शरीर में शर्करा बढ़ती चली जाती है, यही अतिरिक्त शुगर मूत्र में मिलकर निष्कासित होती है, इससे शरीर तेजी से शक्तिहीन होने लगता है। इस प्रकार एक अच्छा भला व्यक्ति लापरवाही एवं खानपान पर नियंत्रण रख पाने के कारण डायबिटीज का शिकार हो जाता है।

डायबिटीज में क्या खाना चाहिए ?

इस रोग में शर्करा का पाचन नहीं हो पाता, इसलिए रोगी को चाहिए कि भोजन में शर्करायुक्त (मीठा), प्रोटीनयुक्त एवं कार्बोहाईड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

  • अत्यधिक मीठे फलों का भी त्याग करना चाहिए।
  • मैदा या मैदा से बनी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नया अनाज, उड़द की दाल, मसूर, कंदमूल, आलू, कचालू, अरवी, गोभी इत्यादि का सेवन भी शुगर के रोगी को नहीं करना चाहिए।
  • जहाँ तक संभव हो मरीज को शराब और सिगरेट से भी परहेज करना चाहिए। यह दोनों नशीले पदार्थ रोगी को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
  • यदि डायबिटीज के साथ उच्च रक्तचाप की भी सिकायत हो तो रोगी को आहार में कम से कम नमक का उपयोग करना चाहिए।
  • शुगर के मरीज को एक बार में ही बहुत ज्यादा मात्रा में भोजन सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि दिन में कई बार थोड़ा थोड़ा करके भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • ऐसे रोगियों को समय समय पर डॉक्टर से संपर्क करते रहना चाहिए और उसी के परामर्श से हल्का, सुपाच्य व् तरल आहार लेना चाहिए।
  • ऐसे मरीज के भोजन में चावल, करेला, लौकी, कुल्थी, परवल, टिंडे, तोरई, गेंहूँ व् जौ आदि को शामिल करना चाहिए।
  • इस तरह के रोगी के लिए जौ की रोटी अत्यंत लाभदायक साबित होती है।
  • डायबिटीज के मरीज को नियमित रूप से प्रतिदिन सुबह शाम टहलना चाहिए। प्रातःकाल की शीतल व् शुद्ध वायु से रोगी को बहुत लाभ होता है।
  • ऐसे रोगी को अत्यधिक मेहनत करने से हमेशा बचना चाहिए।

डायबिटीज या शुगर कम करने के उपाय:

सबसे पहले में यह स्पष्ट कर देना मुनासिब समझता हूँ कि शुगर की बीमारी को किसी भी औषधि के द्वारा जड़ से ख़त्म नहीं किया जा सकता है। इस रोग के लिए जो भी उपाय हैं उनका सिर्फ इतना उद्ध्येश्य है कि व्यक्ति के शरीर में शर्करा को नियंत्रित किया जाये।

स्वस्थ स्त्री पुरुष यानि ईश्वर की कृपा से जो लोग इस भयानक रोग से ग्रसित नहीं हुए हैं उन्हें इसके बचाव के लिए अत्यधिक मीठा खाने से बचना चाहिए।

मैथी के पाँच ग्राम दाने रात को पानी में भिगोकर रखें और सुबह उठकर उन दानों को उसी पानी में अच्छी तरह मसलकर पी लें। या फिर 5 ग्राम मैथी दाने का चूर्ण पानी के साथ सेवन करें इससे शुगर की प्रॉब्लम में बहुत अच्छा लाभ मिलेगा।

प्रतिदिन 150 ग्राम से 200 ग्राम की मात्रा में टमाटर खाने से डायबिटीज के रोगी को बहुत लाभ मिलता है। टमाटर का हल्का खट्टापन शरीर में शर्करा की मात्रा को कम करता है।

100 ग्राम नीम के पत्ते, 50 ग्राम गिलोय, 25 ग्राम अजवायन, 25 ग्राम सौंफ और 15 ग्राम चिरायता इन सभी को धूप में दो से तीन दिन तक अच्छी तरह सूखा लीजिये। सुखाने के बाद कूट पीसकर बारीक़ चूर्ण बना लीजिये। अब इस चूर्ण की एक चम्मच की मात्रा ताजे पानी के साथ को सुबह के समय खाली पेट लेने से ब्लड शुगर नियंत्रण में रहती है।

जामुन, करेला, नीम आदि कड़वे फलों से मधुमेह में बहुत जल्दी लाभ मिलता है। जामुन का फल तो सीजन में खाना ही चाहिए बल्कि इसकी गुठलियों को छाया में सुखाकर और कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सेवन करने से भी शुगर में बहुत लाभ मिलता है।

एक खीरा, एक करेला और एक टमाटर इन सभी का रस निकालें और सुबह खाली पेट सेवन करें इससे शुगर के मरीज को बहुत फायदा मिलता है।

8-10 नीम के हरे पत्ते सुबह खाली पेट चबाकर खाये। चूँकि नीम के पत्ते कड़वे होते हैं इसलिए हर कोई इस नुश्खे को नहीं कर पाता। अतः नीम के पत्तों को पीसकर पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।

सदाबहार के फूल 8-10 फूल खाली पेट पानी के साथ चबाकर खाने से डायबिटीज कण्ट्रोल होती है।

जामुन, गिलोय, कुटकी, चिरायता, निम्ब पत्र, कालमेघ, काला जीरा, सूखा करेला और मैथी इन सबको समान मात्रा में लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण एक एक चम्मच सुबह शाम खाली पेट पानी के साथ सेवन करने से शुगर में विशेष लाभ होता है।

करेले के 10 15 मिलीलीटर रस में पानी अथवा शहद मिलाकर लेने से भी शर्करा नियंत्रित हो जाती है। करेले की सब्जी का सेवन करने से भी अच्छा लाभ मिलता है।

डायबिटीज में बार बार पेशाब लगने की स्थिति में 5 ग्राम हल्दी पाउडर ताजे पानी के साथ सेवन करने से बार बार पेशाब लगने की शिकायत ख़त्म हो जाती है।

3 मिलीलीटर बेल के पत्तों का रस, 3 मिलीलीटर गुड़मार बूटी के पत्तों का रस और 3 मिलीलीटर नीम के पत्तों का रस लेकर सबको मिलाकर सेवन करें। इससे शरीर में शर्करा का पूरी तरह नियंत्रण रहता है।

डायबिटीज का आयुर्वेदिक उपचार:

125 मिलीग्राम बसंतकुसुमाकर रस शहद में मिलाकर सुबह शाम एक माह तक सेवन करें। मधुमेह की यह बहुत ही गुड़कारी एवं लाभदायक दवा है इससे काफी समय तक शरीर में शर्करा पर नियंत्रण बना रहता है और शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।

एक गोली बसंतकुसुमाकर रस की, जामुन की गुठली का चूर्ण और शिलाजीत के साथ सेवन करने से भी इस रोग में आराम मिलता है। इससे शारीरक दुर्बलता दूर होती है और शुगर की बीमारी की वजह से उत्पन्न हुयी नपुंसकता तो दूर होती है साथ ही बार बार मूत्र त्याग की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है।

बहुमुत्रान्तक रस की एक एक गोली सुबह शाम, एक एक ग्राम जामुन की गुठली एवं गुड़मार बूटी के चूर्ण में गुलर का रस और शहद मिलाकर लेने से शर्करा पर नियंत्रण होता है।
शुद्ध शिलाजीत 3 रत्ती की मात्रा में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम सेवन करने से शुगर कण्ट्रोल होती है।

चन्द्रप्रभावटी की एक गोली सुबह और एक गोली शाम (सोने से एक घंटा पहले) पानी के साथ लेने से डायबिटीज रोग में अत्यधिक लाभ मिलता है।

ब्राम्ही रसायन वटी की एक गोली सुबह शाम ताजे पानी के साथ सेवन करें। इससे केवल शारीरिक शक्ति विकिसित होती है बल्कि शर्करा पर भी लम्बे समय तक नियंत्रण बना रहता है।

मधुमेह होने पर रोगी को पंचकर्म चिकित्सा की तरफ भी विशेष ध्यान देना चाहिए। पंचकर्म से पूरे शरीर की शुद्धि हो जाती है।

मेषश्रंगी के पत्तों को छाया में सुखाने के बाद कूट पीसकर बारीक़ चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 5 ग्राम की मात्रा पानी के साथ सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।60 मिलीग्राम स्वर्णमाक्षिक भस्म, 250 मिलीग्राम प्रबाल पिष्टी एवं 60 मिलीग्राम नाग भस्म, इन तीनों को अच्छी तरह मिलाकर पीस लें और सुबह एवं रात्रि में शहद के साथ सेवन करें। इससे शुगर कण्ट्रोल जल्दी होती है।

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