डेंगू बुखार से परेशान तो इसे कीजिये

डेंगू फीवर :- यह एक खतरनाक संक्रामक रोग है जो क्यूलेक्स मच्छरों के द्वारा फैलता है। रोगी को डेंगू बुखार में लगातार तीन चार दिनों तक फीवर आता है और चौथे पांचवे दिन कुछ हल्का हो जाता है, फिर हल्का बुखार एक दो दिन रहकर उतर जाता है। इस फीवर में प्रमुख रूप से शरीर और विशेषकर हड्डियों में बहुत तेज पीड़ा और भयानक दर्द होता है। Dengue रोग लगभग सभी उम्र के लोगों में होता है। यदि घर में किसी एक व्यक्ति को ये बुखार हो जाये तो घर के अन्य सदस्य भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।

यदि कोई साधारण मच्छर डेंगू के रोगी को काट ले और ब्लड चूसकर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को वही मच्छर काट ले तो उसके मुख से एक प्रकार का वायरस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसकी वजह से उस स्वस्थ व्यक्ति को भी डेंगू बुखार की समस्या हो जाती है।

डेंगू क्या है और डेंगू कैसे फैलता है ?

बरसात के मौषम में घरों के आसपास बने गड्ढों, छत पर पड़े काठ कबाड़, पुराने टायरों, पुराने खाली डिब्बों आदि में बारिश का पानी जमा हो जाता है जो कुछ दिन बाद सड़ने लगता है।

इस गंदे और सड़े हुए पानी में कुछ मच्छर अपना डेरा जमा लेते हैं और वहीँ पर अण्डे देने लगते हैं जिसके फलस्वरूप मच्छरों की बहुत बड़ी फौज तैयार हो जाती है। यही मच्छर डेंगू फीवर फैलाते हैं।

कुछ मच्छर मलेरियाफाइलेरिया या हाथी पांव बीमारी भी फैलाते हैं। एलोपैथी चिकित्सकों के अनुसार डेंगू बुखार की उत्पत्ति के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार एक मादा मच्छर होता है जिसका नाम एडीज इजिप्टी है।

यह मादा मच्छर जिस व्यक्ति के शरीर में से खून चूसती है उसके शरीर में डेंगू ज्वर के वायरस या जीवाणु छोड़ देती है। इस मादा मच्छर के रक्तपान करने के 5-7 दिन के बाद व्यक्ति में डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

डेंगू बुखार के कारण:

वैज्ञानिक अनुसंधानों से इस तथ्य की पुष्टि की जा चुकी है कि डेंगू फीवर एक विषाणु से उत्पन्न होने वाला रोग है जो फ्लेवी वायरस से उत्पन्न होता है। इस रोग के वायरस का आदान प्रदान करने वाला एंडीज नामक मच्छर है जो अधिकांश रूप से वर्षा ऋतू में पाया जाता है।

यह जल भराव, अनुपयोगी टिन के डब्बों, टूटी बोतलों, पुराने टायर, फूलदान या गमलों, मिटटी के बर्तनों, नारियल के खोपटों आदि स्थान पर तेजी से पनपते हैं।

इसके अण्डे अलग अलग तथा सिगार के आकृति के समान होते हैं, शरीर पर तथा टांगों पर सफेद धारियां होने के कारण इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता है।

डेंगू बुखार के लक्षण (सिम्पटम्स ऑफ़ डेंगू):

जिन व्यक्तियों को यह फीवर की समस्या होती है उनमें बुखार के प्रकार को पहचानने के लिए कुछ विशेष लक्षण दिखाई देने लगते हैं। डेंगू के लक्षण निम्न प्रकार के होते हैं –

  • शरीर में वायरस के प्रवेश होने के बाद पाँच से सात दिनों के अन्दर शरीर अस्वस्थ सा महशूश होने लगता है और शरीर में असहनीय पीड़ा होना शुरू हो जाती है। इसके बाद शरीर में ठण्ड लगते हुए फीवर आने लगता है।
  • डेंगू बुखार के साथ साथ शरीर की बहुत सी हड्डियों में असहनीय पीड़ा होने लगती है, रोगी को ऐसा लगता है जैसे उसकी हड्डियाँ टूटी जा रही हों। इसीलिए इस रोग को हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस रोग में मुख्य रूप से रोगी को तीव्र फीवर, सिर में दर्द, हड्डियों में टूटने के समान तेज पीड़ा, कमर दर्द, कंपकंपी, सर्दी की प्रॉब्लमअनिद्रा की प्रॉब्लम, बैचनी इत्यादि लक्षण देखने को मिलते हैं।
  • दर्द हाथ की अँगुलियों से शुरू होकर एक स्थान से दूसरे स्थान में हट हटकर होता है। इसके अलावा हड्डियों के जोड़ों में भी दर्द होता है।
  • ऐसे रोगी की आँखों में भी पीड़ा होती है, जांघों में अत्यधिक दर्द होता है एवं ऐसे रोगी को रौशनी सहन नहीं होती।
  • शरीर का तापमान 102 से 107 डिग्री तक हो जाता है, चेहरा एवं आँखें लाल हो जाती हैं।
  • डेंगू के रोगी का बुखार तीसरे दिन उतर जाता है और दो दिन तक उतरा रहता है। इसके बाद फिर बुखार आना शुरू हो जाता है और दो दिनों तक बना रहता है और पुनः तीसरे दिन उतर जाता है।
  • ऐसे रोगी के नाक या अन्य जगहों से ब्लड निकलने लगता है, इस स्थिति को काफी घातक माना जाता है क्योंकि इसमें रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
  • इस तरह के रोगी में प्लेटलेट्स की कमी आ जाती है जिससे उसे बुखार तो होता ही है साथ ही वमन या उल्टियाँ, बेहोशी एवं पीलिया के लक्षण भी रोगी में दिखाई देने लगते हैं।
  • यदि रोगी के ब्लड में प्लेटलेट्स (लाल रक्त कण) की मात्रा अत्यधिक रूप से कम हो जाये तो रोगी खतरनाक स्थिति में पहुंचकर मृत्युलोक को प्राप्त कर लेता है।

हेमरेजिक डेंगू एक गंभीर किस्म की बीमारी है जो बच्चों को अपने आगोस में लेती है। जब रोगी इलाज के अभाव में बेहोशी की स्थिति में पहुँच जाता है तो रोगी की जान जाने का खतरा लगभग कई गुना बढ़ जाता है।

डेंगू के घरेलू उपचार (देशी डेंगू ट्रीटमेंट):

डेंगू बुखार के घरेलू उपचार बहुत हैं लेकिन यहाँ हम आपको सिर्फ उन उपचारों के बारे में ही बताने जा रहे हैं जो रोगी को फायदा ही नहीं बल्कि रोग को जड़ से पूरी तरह नष्ट कर देते हैं –

इस बुखार का असर पाचन क्रिया पर भी पड़ता है जिसकी वजह से रोगी की पाचन क्रिया बेहद कमजोर पड़ जाती है इसलिए भोजन करने के बाद रोगी को 15 से 20ml द्राक्षासव में इतना ही पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए, इससे पाचनक्रिया दुरुस्त हो जाएगी।

अत्यधिक फीवर के कारण जब रोगी की अवस्था दयनीय हो जाये और उसे बेहोशी आने लगे तो किसी चिकित्सक की सलाह से एक गोली म्रत्युंजय रस, एक गोली लक्ष्मी विलास रस और 120 मिली ग्राम मकरध्वज रस लेकर अच्छी तरह घोंट लें और शहद एवं पान के रस के साथ रोगी को सेवन करना अत्यंत लाभकारी होता है।

एक एक गोली महालक्ष्मीविलास रस की सुबह शाम शहद के साथ सेवन करने से भी डेंगू बुखार नष्ट हो जाता है। इसके साथ ही डेंगू ज्वर से उत्पन्न सन्न्पात एवं सिर दर्द में भी बहुत जल्दी आराम मिल जाता है।

रोगी को कृष्ण चतुर्मुख रस 120 मिली ग्राम की मात्रा लेकर उसमें थोड़ी सी शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन कराने से जल्दी लाभ मिल जाता है।

कुटकी चूर्ण की 3 ग्राम की मात्रा लेकर रोगी को हल्के गुनगुने पानी के साथ सेवन करना चाहिए। इससे डेंगू फीवर बहुत जल्दी नष्ट हो जाता है।

डेंगू बुखार में क्या खाना चाहिए:

दवा के साथ साथ रोगी को डेंगू बुखार में परहेज करने की भी बहुत आवश्यकता होती है इसलिए इसमें विशेष रूप से खान पान पर ध्यान रखना चाहिए –

  • शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए मरीज को तरल पदार्थ जैसे फलों के जूस, कच्चे नारियल का पानी, नीबू शिकंजी, दही की लस्सी, दूध इत्यादि का सेवन करना लाभकारी होता है।
  • डेंगू फीवर के कारण उत्पन्न हुयी शारीरिक कमजोरी को नियंत्रित करने के लिए सुपाच्य और पौष्टिक आहार जैसे आलू, चावल, दलिया, दालें इत्यादि का समुचित सेवन करते रहना चाहिए।
  • रोग ख़त्म होने पर एक से दो सप्ताह तक रोगी को कोई भी शीतल खाद्य पदार्थ या शीतल पेय का सेवन नहीं करना चाहिए।

डेंगू की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए ?

इस रोग से खुद को और अपने परिवार को बचाने के लिए निम्नलिखत सावधानियाँ रखनी चाहिए –

  • बरसात का मौषम आते ही प्रत्येक फैमिली को पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। घर के आसपास तथा छत आदि पर जमा काठ कबाड़ एवं पुराने ट्यूब टायर या डिब्बे जिनमें बारिश का पानी जमा होकर सड़ने की आशंका हो उन्हें हटा देना चाहिए।
  • बरसात के प्रारंभ में ही डेंगू प्रतिरोधी इंजेक्शन लगवाकर खुद को सुरक्षित कर लेना चाहिए।
  • घर के कूलर आदि की सफाई नियमित रूप से करते रहना चाहिए और उसमें जमा पानी में मिटटी का तेल या केरोसिन इत्यादि डाल देना चाहिए जिससे मच्छर उस पानी में अण्डे न दे पाए।

रोगी व्यक्ति को अपने खान पान पर विशेष ध्यान देते हुए नियमित रूप से किसी अच्छे चिकित्सक से उपचार करवाते रहना चाहिए।

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