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धनिया में पाए जाते हैं चमत्कारिक औषधीय गुण

18/04/2018 by Hindi Health Gyan Leave a Comment

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धनिया लगभग सम्पूर्ण भारत में पाई जाती है। इसे धना, धतो, कौथी, बीर, धाणा, कोथमोर करनीज, कातामल्ली इत्यादि नामों से भी पुकारा जाता है। इसका प्रयोग मशाले के तौर पर हर घर में किया जाता है। धनिया का पौधा दो से तीन फुट तक की ऊँचाई का होता है, इसकी शाखाएँ चिकनी, पत्तियाँ तीन से पाँच भागों में विभक्त तथा प्रत्येक भाग कटे हुए होते हैं। इसके फूल सफेद या गुलाबी होते हैं और इसके फल छोटे आकार के गुच्छों में लगे हुए होते हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है।

धनिया के औषधीय गुण

हरा धनिया और पका हुआ बीजों के शक्ल में दोनों ही प्रकार से काम आता है। यह शक्तिवर्धक तथा मन को शीतल रखने वाला है। हरा धनिया पित्तनाशक होता है इसे रबी की फसल के साथ बोया जाता है लेकिन आज के समय में यह हर वक्त आसानी से मिल जाता है।

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धनिया के औषधीय गुण एवं घरेलू उपाय:

इसमें कई रोगों को ठीक करने के विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। इससे निन्लिखित रोगों का घरेलू नुस्खों के रूप में प्रयोग किया जाता है।

पेट की गैस –

दो चम्मच सूखा धनिया पाउडर एक गिलास पानी में घोलकर हल्की आँच पर उबाल लें फिर उसे छानकर तीन भागों में बाँटकर सुबह दोपहर और शाम पीने से पेट गैस की समस्या से निजात मिल जाती है।

सिर दर्द –

10 ग्राम सूखी धनिया, 5 ग्राम सूखा आँवला (बिना गुठली) इन दोनों को रात के समय मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रखें। सुबह उठकर इन्हें अच्छी तरह से मल कर किसी बारीक छलनी या कपड़े से छान कर सिर दर्द के मरीज को पिलाने से उसके सिर का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाता है।

लू लगने पर –

हरे धनिया का रस अथवा सूखे धनिये को पीसकर उसमें शक्कर मिलाकर पीने से लू का असर बिल्कुल खत्म हो जाता है।

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लीवर की खराबी एवं अन्य पेट रोग –

250 ग्राम हरा धनिया, 50 ग्राम काला नमक, 50 ग्राम काली मिर्च। इन सबको इस प्रकार से कूट पीसकर बनायें कि चटनी बन जाये। इस चटनी को काँच के बर्तन में रख लीजिये और एक चम्मच सुबह उठते ही ठंडे पानी के साथ सेवन करेंगे तो हर प्रकार के पेट के रोग दूर हो जायेंगे।

पेसाब में खून आना या बार बार आना –

कई बार पेसाब सही आता है तो कई बार पेसाब में खून आने लगता है और कुछ लोगों को पेसाब रुक कर आता है। ऐसी स्थिति में एक मिट्टी के बर्तन में उबलता हुआ पानी डालकर उसमें 40 ग्राम मोटा पिसा हुआ धनिया डाल दें। सुबह उठकर अच्छी तरह से मल कर छान लें फिर 10 ग्राम मिश्री मिलाकर उसके पाँच भाग करके दिन में पाँच बार पी लें। एक हफ्ते तक ऐसा करने से पेसाब के सब रोग ठीक हो जायेंगे।

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स्वप्नदोष –

100 ग्राम सूखी धनिया पीसकर छान लें। अब 25 ग्राम बारीक पिसी हुयी मिश्री उसमें मिलाकर एक चम्मच रात को सोते समय, एक चम्मच सुबह ठंडे पानी के साथ सेवन करने से स्वप्न दोष, पेसाब की जलन जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।

आँखों में जलन –

हरे धनिये के पत्तों को पीसकर इसके रस की 2-3 बूंदें आँखों में डालने से आँखों की जलन ठीक हो जाती है।

गले में दर्द –

सूखी धनिया के दाने 3-4 घंटे के अन्तराल से दिन में 6-7 बार चबाकर चूसने से ऋतू परिवर्तन, ठण्ड लग जाने, अनियमित खान पान और कफ विकार से होने वाला गले का दर्द ठीक हो जाता है।

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अनिद्रा या नींद न आना –

हरे धनिया के रस में शक्कर मिलाकर पीने से भरपूर नींद आती है और सिर दर्द भी समाप्त हो जाता है।

शरीर में जलन –

10 ग्राम धनिया, 10 ग्राम चावल दोनों को रात्रि में पानी में भिगो दें। सुबह उन्हें उसी पानी में पीस लीजिये और इसे गर्म करके पी लीजिये। इससे शरीर की जलन तुरंत ठीक हो जाएगी।

मासिकधर्म में गड़बड़ी –

पिसे हुए सूखे धनिये को चावल के पानी के साथ खाने से महिलायों के मासिकधर्म में अधिक रक्त आना बंद हो जाता है।

उल्टियाँ –

ताजा हरे धनिया के अर्क में पानी मिलाकर पीने अथवा सूखे धनिया को भिगोकर पीसने के बाद सेवन करने से ग्राभावस्था की उल्टियाँ और सामान्य उल्टियाँ रुक जातीं हैं।

आँव आना –

15 ग्राम पिसा हुआ धनिया तथा 15 ग्राम पिसी हुयी मिश्री दोनों को पानी में मिला लें। इसे पीने से शौच में आँव के साथ खून आना बंद हो जाता है।

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खाने के बाद शौच जाना –

सूखे धनिया के साथ काला नमक पीसकर रख लें। इसकी आधा चम्मच की मात्रा के हिसाब से खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करते रहें। कुछ ही दिनों में भोजन के तुरंत बाद शौच जाने का रोग दूर हो जायेगा।

जोड़ों में दर्द –

यदि किसी रोगी के जोड़ों में दर्द रहता है तो धनिया के तेल की मालिश करना अत्यंत लाभकारी होता है।

तो देखा धनिया के घरेलू नुस्खे किस तरह रोगों को छुट्टी कर देते हैं। यदि आप इस बारे में कुछ अपनी राय देना चाहते हैं तो कमेंट करके हमें बता सकते हैं। धनिया के इन औषधीय गुणों से परिपूर्ण इस जानकारी को ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा फेसबुक पर शेयर कर दें।

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