पथरी होने पर ऐसे पहचान सकते हैं

पथरी को पेट रोग के सबसे गंभीर रोगों की श्रेणी में गिना जाता है। सामान्यतः यह रोग युवा वर्ग के लोगों में अधिक रूप से देखा जाता है। इस बीमारी में बिना किसी परेशानी के ही अचानक बहुत तेज पेट में दर्द शुरू हो जाता है। पथरी के दर्द के कारण रोगी लगातार दर्द से कराहता रहता है। जब पाचन तंत्र में अत्यधिक आमदोष उत्पन्न हो जाता है तो इसका असर आन्त्र्पुच्छ जिसे अंग्रेजी में अपेंडिक्स (Appendix) कहते हैं उस पर होता है। जिसकी वजह से उसमें एक दम से सूजन आ जाती है। अपेंडिक्स की इसी सूजन को ही हम पथरी कहते हैं।

पथरी होने के कारण, लक्षण एवं पथरी का इलाज और परहेज

हमेशा पथरी रोगी को एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पेट का दर्द कम करने के लिए दर्द के स्थान पर किसी तरह की तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए और न ही पेट को मसलना चाहिए। ऐसा करने से अपेंडिक्स की सूजन और ज्यादा बढ़ जाती है जिसके कारण ये रोग और ज्यादा उग्र अवस्था में पहुँच जाता है जिसकी वजह से रोगी की परेशानी भी बढ़ जाती है और अपेंडिक्स के फटने का भी भय पैदा हो जाता है।

पथरी के प्रकार:

प्रमुख रूप से ये चार प्रकार की होती है जो निम्नलिखित हैं –

  1. कैल्शियम स्टोन्स
  2. यूरिक एसिड स्टोन्स
  3. सिस्टीन स्टोन्स
  4. स्ट्रवाइट स्टोन्स

पथरी होने के कारण या पथरी कैसे होती है:

  • यदि रोगी को महिला है तो उसकी ओवरी में सूजन आ जाने पर भी अपेंडिक्स का दर्द उत्पन्न हो सकता है।
  • कभी कभी यह रोग संक्रामक वायरस के कारण Appendix में सूजन पैदा करने में सक्षम हो जाते हैं जिसकी वजह से यह रोग उत्पन्न हो जाता है।
  • यदि किसी व्यक्ति का मल कठोर आता है जिसकी वजह से अपेंडिक्स के पोषण में अवरोध उत्पन्न हो जाता है जिसकी वजह से उसमें बहुत ज्यादा सूजन आ जाती है जिसकी वजह से पथरी रोग उत्पन्न हो जाता है।
  • सूखे या हरे दानों वाला भोजन जैसे चने, अरहर, सेम इत्यादि का सेवन करने और उसके दानों को बिना अच्छे से चबाये निगल लेने पर छिद्र में फँस जाने की वजह से आन्त्र्पुच्छ में सूजन आ जाती है और रोगी के पेट में पथरी का दर्द होने लगता है।

पथरी रोग के लक्षण एवं पहचान:

पेट में दर्द होने के बहुत से दूसरे कारण भी होते हैं इसलिए पथरी की वजह से पेट में दर्द है या इसकी अन्य कोई वजह है इसकी जानकारी होना बहुत जरुरी है। इसलिए में आपको इस रोग के कुछ प्रमुख लक्षण बताने जा रहा हूँ जिससे आप आसानी से अपेंडिक्स की प्रॉब्लम को पहचान सकते हैं और उसका इलाज ले सकते हैं।  पथरी के लक्षण निम्नलिखित हैं –

  • रोगी के पेट में बहुत तेज दर्द उठता है और ये दर्द लगातार बढ़ता ही जाता है। यह दर्द नाभि के आस पास के हिस्से से स्टार्ट होता है फिर यह नाभि के दायीं साइड नीचे की तरफ पहुँच जाता है।
  • अपेंडिक्स के रोगी को भूख लगना, उल्टियाँ होना, कब्ज की सिकायत बनी रहना और शरीर में हल्का बुखार बना रहना जैसी समस्याएं होतीं हैं।
  • ऐसे मरीजों का पेट साफ नहीं होता है जिसकी वजह से बदहजमी या अपच जैसी समस्याएं बनी रहती हैं।
  • सर्वाधिक मरीजों में पाया गया है कि पथरी का दर्द रात के समय ही होता है।
  • इस रोग के रोगी के पेट में दर्द नाभि से नीचे राईट साइड में लगभग 4 अंगुल की दूरी पर होता है।
  • पथरी के रोगी को दर्द के साथ एक ही बार में दो बार उल्टी हो जाती है
  • यदि अपेंडिक्स की सूजन बहुत ज्यादा बढ़ गयी हो या पक गया हो या उसमें मवाद पड़ गया हो तो दर्द होने वाली जगह पर कभी कभी लाल रंग का चकता उभरा हुआ दिखाई देता है और रोगी की ऐसी अवस्था में हल्का फीवर भी देखा जाता है
  • पथरी के दर्द की पहचान करने के लिए रोगी को थोड़ा खाँसने के लिए कहें और देखें कि क्या पेट के नीचे तेज दर्द उठ रहा है या फिर लेफ्ट साइड में थोड़ा ऊपर धीरे धीरे लेकिन जोर से तब तक दबाएँ जब तक पीड़ा अनुभव न हो। इसके बाद तुरंत हाथ हटा लें, यदि हाँथ हटाते ही बहुत तेज पीड़ा उठे तो यह लक्षण अपेंडिक्स का ही हो सकता है। यदि लेफ्ट साइड ऐसा करने पर दर्द नहीं होता है तो इसी प्रक्रिया को दायीं तरफ ठीक इसी तरह दोहराएँ।

पथरी के रोगी के लिए उपाय:

  • जिस मरीज को अपेंडिक्स होने का अंदेसा हो उसे सबसे पहले पथरी की जांच करा लेना ज्यादा उचित होता है।
  • जैसे ही मरीज को कन्फर्म हो जाये कि उसे अपेंडिक्स की प्रॉब्लम है तो उसे सबसे पहले आहार लेना बंद कर देना चाहिए और चलने फिरने या हिलने डुलने से बचते हुए बिस्तर पर पूरी तरह से आराम करना चाहिए।
  • ऐसे मरीज को बार बार हल्का गुनगुना किया हुआ पानी का ही सेवन करना ज्यादा उचित होता है।
  • ऐसे रोगी को दर्द निवारक दवा लेने की बजाय उपवास करना चाहिए। क्योंकि उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और गुनगुने पानी के सेवन से पाचन क्रिया भी नार्मल होती है।
  • किसी भी प्रकार की पथरी के दर्द की दवा का सेवन करना पूरी तरह गलत है ऐसा करना रोगी के लिए बहुत हानिकारक होता है।
  • पथरी के रोगी को कब्जी होने पर या पेट साफ होने पर किसी प्रकार की जुलाब की दवा न लें। क्योंकि इसमें आँतों की पेशियों की गति बढ़ जाने के कारण अपेंडिक्स की सूजन पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से कई बार वो फट भी जाता है जिसके फलस्वरूप रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

पथरी का घरेलू इलाज:

आज के समय में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो प्राकृतिक रूप से आसानी से हमारे आस पास मिल जातीं है और उनका प्रयोग हम अपेंडिक्स की बीमारी ठीक करने के लिए पथरी की देशी दवा के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।

अपेंडिक्स की सिकायत होने पर हरे बथुए के पत्तों के एक गिलास रस में एक चम्मच मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से पथरी घुलकर बाहर निकल जाती है।

100 ग्राम मूली के पत्तों का रस लें और उसमें थोड़ा सा काला नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें इससे छोटी मोटी स्टोन्स घुलकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।

250 ग्राम पानी में 10 ग्राम कुल्थी डालकर अच्छे से उबालिए और जब पानी आधा रह जाये तो उसे हल्का गुनगुना रहने तक ठंडा कर लीजिये फिर इस गुनगुने काढ़े को रोगी को सेवन कराइए। इसी तरह इसे लगभग 15-20 दिनों तक लगातार सेवन करने से पथरी घुलकर बाहर निकल जाती है।

5 ग्राम पपीते की जड़ पीस लीजिये अब इसे 100 ग्राम पानी में घोलकर स्वच्छ कपड़े से छान लीजिये और रोगी को सेवन करा दें। ऐसा लगातार 15-20 दिनों तक करना है रोगी की पथरी के सूक्ष्म टुकड़े होकर पेसाब मार्ग से बाहर निकल जायेंगे।

पथरी का आयुर्वेदिक उपचार:

वैसे देखा जाये तो आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार आयुर्वेद में अपेंडिक्स के लिए कोई विशेष चिकित्सा उपलब्ध ही नहीं है। लेकिन हाँ कुछ सामान्य औषधियाँ जरुर काम आ सकती हैं जो निम्न प्रकार हैं –

चित्रकादि वटी की एक एक गोली हर 2 घंटे में हल्के गर्म पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। यह रोग को नष्ट करने में लाभकारी होती है। इसके साथ ही शंखवटी, शिवाक्षार चूर्ण को एक एक चम्मच के हिसाब सुबह शाम सेवन कराया जा सकता है।

इस बीमारी में पाचन क्रिया को दुरुस्त करके कब्ज को नष्ट करना पड़ता है जिसके लिए दशमूलारिष्ट और पुनर्नवारिष्ट एक एक चम्मच समान मात्रा में पानी मिलाकर प्रतिदिन भोजन के बाद सुबह शाम पीने से बहुत फायदा होता है। इसके साथ ही लवणभास्कर चूर्ण को भी सुबह शाम एक एक चम्मच सेवन करना चाहिए।

पथरी के रोगी को इस बात को अच्छे से समझ लेना चाहिए कि इसका एक ही मात्र उपाय है वो है ऑपरेशन ! इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है जिसे अपनाकर इस रोग को जड़ से खत्म किया जा सके।

जब तक ऑपराशन की व्यवस्था न हो तब तक ऊपर बताई गयी औषधि का प्रयोग कर सकते हैं। वैसे मानव शरीर  में   इस ग्रंथि की कोई उपयोगिता नहीं है   इसलिए पथरी के दर्द के स्टार्टिंग में ही इसका ऑपरेशन करा देना चाहिए।

पथरी मे परहेज या खानपान:

  • ऐसे रोगी का भोजन बंद कर देना चाहिए सिर्फ कुछ दिनों तक फलों के जूस, ग्लूकोज का पानी तथा चाय कॉफी जैसे तरल पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।
  • पथरी का दर्द मिट जाने के बाद पाचन तंत्र को आराम देने के लिए रोगी को एक दो दिन का उपवास करना ज्यादा हितकर होता है, उपवास के दौरान बहुत ही कम मात्रा में फलाहार कर सकता है इसके अलावा अन्य कोई आहार नहीं लेना चाहिए। इसके कुछ दिन बाद कुछ दिनों तक मूँग की दाल का पानी, एक दम पतली खिचड़ी, भाजी का सूप, मुरमुरे या लायी जैसे एक दम हल्का आहार का सेवन करना चाहिए।
  • यदि पेट में दर्द हल्का हल्का हो रहा हो तो दर्द के स्थान पर हल्का कपड़े को गर्म करके उससे सेंकना चाहिए, इससे रोगी को फायदा मिलता है।
  • जितना हो सके उतना ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए लेकिन हल्का गर्म करके।
  • तम्बाकू, गुटखा, शराब, धूम्रपान इत्यादि का सेवन करना पूर्णतः वर्जित है।
  • आवश्यक नोट – 
  • यदि अपेंडिक्स की सूजन बहुत ज्यादा बढ़ गयी हो या वह पक गया हो और उसमें मवाद पड़ गया हो तो दर्द होने के स्थान पर लाल चकते पड़ जाते हैं। इस स्थिति में यह रोग असाध्य हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाकर उसे कटवाकर निकलवाना ही इसका सही हल होता है इसके अलावा इसका कोई इलाज नहीं होता।

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