पान खाकर बच सकते हैं भयंकर रोगों से
पान हमारे भारत की अपनी ही परम्परागत शान है। कुछ लोग इसे शौक से ही खाते हैं और कुछ लोग एक दूसरे को देखकर देखकर खाते हैं। इसके विषय में तो भारत के कुछ भाग बहुत ज्यादा प्रसिद्द रहे हैं। पान सुपारी तो हिन्दू देवी देवताओं के पूजन में भी प्रयोग में लाये जाते हैं। इसको ताम्बुल, वल्ली, नाउखेल, पानेकान इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। लेकिन सभी जगह इसे विशेष रूप से पान के नाम से ही जाना जाता है। भारत के साथ साथ श्रीलंका एवं मालद्वीप में इसकी बड़े रूप में खेती की जाती है।

इसके लिए उष्ण एवं आर्द्रप्रदेश सबसे अधिक उपयुक्त माने जाते हैं। यह एक प्रकार से आरोठी लता होती है और इसके पत्ते पीपल के पत्तों के समान होते हैं जो देखने में अत्यंत सुन्दर और कोमल होते हैं।
इसके पत्तों का आकार अंडाकार होता है एवं अनेक शिराओं से युक्त चिकना, मोटा तथा लगभग एक इंच लम्बे वृंत से युक्त होता है।
इसकी खेती करने के लिए सीढ़ीनुमा खेत बनाये जाते हैं जिससे पानी का बहाव न रुक सके। अत्यधिक कोमल होने के कारण इनको सूरज की धूप और पानी से बचाना पड़ता है जिसके लिए इसके खेतों के ऊपर छाया की पर्याप्त व्यवस्था की जाती है।
इसका पत्ता बेलों के रूप में पैदा होता है यह पाचक, अग्निवर्धक तथा मधुर स्वाद वाला होता है। इसका उपयोग कई प्रकार से किया जाता है. आज भी बहुत से लोग भोजन करने के उपरांत पान खाते हैं, इससे स्वांस, लीवर या यकृत एवं गुर्दे के रोग ठीक हो जाते हैं।
पान के औषधीय गुण एवं घरेलू नुस्खे:
खाँसी जुकाम –
पान के पत्ते के अंदर एक लोंग रखकर चबाने से खाँसी जुकाम ठीक हो जाता है। यदि खाँसी अधिक हो तो उसमें हल्दी का टुकड़ा भी डालकर चबाने से बहुत ही जल्दी आराम मिल जाता है।
लीवर का दर्द –
लीवर के दर्द के लिए पान का तेल छाती पर मल कर ऊपर से पान के पत्ते कुछ दिनों तक बाँधने से लीवर की ये प्रॉब्लम ठीक हो जाती है।
सूजन पर –
यदि किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भी भाग पर सूजन हो तो पान के पत्तों को उस जगह पर रखकर हल्के गर्म कपड़े से सेंकने पर सूजन जल्दी नष्ट हो जाती है।
खून साफ –
जिन लोगों को चर्मरोग की समस्या हो वो प्रतिदिन दो से तीन पान का सेवन लगातार 15 दिनों तक करने से उनका खून साफ हो जाता है और हर प्रकार का चर्म रोग नष्ट हो जाता है क्योंकि चमड़ी के रोग खून खराब होने की वजह से उत्पन्न होते हैं।
मुख शुद्धि:
यदि किसी व्यक्ति के मुँह अथवा साँसों से दुर्गन्ध आती हो तो उसे लगातार एक महीने तक दिन में दो बार पान का सेवन करना चाहिए इससे दुर्गन्ध की समस्या से पूरी तरह निजात मिल जाती है।
कफ से उपजने वाले रोग –
जिन लोगों के गले में दर्द, आवाज में खराबी हो उन्हें नित्य दो चम्मच पान के पत्तों का रस सुबह के समय दो से तीन दिनों तक सेवन करना चाहिए।
विषम ज्वर –
यदि कोई व्यक्ति विषम ज्वर से पीड़ित हो तो उसे पान के पत्ते में गुलकंद, कत्था और चूना रखकर चबाना चाहिए इससे उसे जल्दी आराम मिल जाता है।
पायरिया रोग और मुँह के छाले –
पान में कपूर का टुकड़ा (चने की दाल बराबर) डालकर चबायें और पीक को थूंकते रहे इससे पायरिया में बहुत जल्दी आराम मिलता है। ठीक इसी तरह चबाकर मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
गुर्दे के रोग –
यदि किसी व्यक्ति को गुर्दे की कोई प्रॉब्लम है तो उसे प्रतिदिन पान का सेवन करना चाहिए यह बहुत ही लाभदायक होता है।
आपको जानकारी हो गयी है कि पान का पत्ता अनेक रोगों के लिए किस तरह औषधि का काम करता है, यदि आपको ये जानकारी पसंद आई हो तो इसे फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करके अन्य लोगों तक पहुँचाकर उनका भी ज्ञानवर्धन करें।