पीलिया का सबसे अच्छा इलाज (जॉन्डिस ट्रीटमेंट)

पीलिया एक काफी खतरनाक बीमारी है जिसे आयुर्वेद में कामला कहा जाता है और इंगलिश में इसे jaundice भी कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ये रोग पेट में खराबी होने की वजह से प्रारम्भ होता है। जो लोग अक्सर बाहर रहते हैं या उन्हें किसी काम से ज्यादतार बाहर आना जाना पड़ता है वहाँ खान पान की उचित व्यवस्था ना होने और दूषित पानी और अस्वच्छ भोजन करने से वो पीलिया रोग से पीड़ित हो जाते हैं। यदि jaundice का उपचार सही समय पर ना किया जाये तो इसमें रोगी को कई बार बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

अक्सर देखा जाता है कि बरसात के होने के बाद ज्यादतर गाँवों और शहरों का पानी दूषित हो जाता है, इस तरह के पानी के सेवन करने से कई तरह के संक्रमण रोग हो जाते हैं जिनमें से एक पीलिया भी है।

अपने इंडिया में कई ऐसी जगह हैं जहाँ पर बाढ़ आ जाती है वहाँ पर जो जमीन के अन्दर पानी होता है वो भी बड़ी मात्रा में प्रदूषित हो जाता है जिसकी वजह से लोगों को इस तरह की बीमारी का शिकार बनना पड़ता है।

इसका सीधा सा मतलब है कि दूषित पानी और भोजन का सेवन करने से पीलिया रोग की उत्पत्ति होती है। जब कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है तो उसके खून में पित्त की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से रोगी की आँखें और त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है।

जब रोगी मूत्र त्याग करने जाता है तो उसका यूरिन एक दम पीले रंग का निकलने लगता है, इस पीली रंग की पहचान के अनुसार ही इसका नाम साधारण भाषा में पीलिया कहा जाता है।

इस बीमारी में व्यक्ति का मुँह का स्वाद ख़राब हो जाता है या कड़वा कड़वा सा रहने लगता है, यदि रोगी का मुँह खुलवाकर देखा जाये तो उसके जीभ पर मैल का लेप सा चढ़ा रहता है। इस बीमारी में रोगी की भूख कम होती चली जाती है।

पीलिया रोग के कारण :

ये वो कारण हैं जिनके बारे में जानकर आपको पता चल जायेगा कि आखिर पीलिया कैसे होता है। में यहाँ पर सिर्फ कुछ प्रमुख कारणों के बारे में बता रहा हूँ –

  • जब व्यक्ति के जिगर की पित्त नली में जब पथरी रास्ता रोक देती है या किसी अन्य रोग के कारण पित्त की नली का रास्ता सिकुड़ जाता है या छोटा हो जाता है तो पित्त सीधे आँतों में न पहुंचकर सीधा खून में मिलने लगता है और जब यह पित्त खून में मिल जाता है तो व्यक्ति का शरीर पीला पड़ जाता है।
  • जब कोई व्यक्ति पौष्टिक भोजन का समय पर सेवन नहीं करता तो उसे इस रोग का शिकार होना पड़ता है।
  • यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा हस्तमैथुन करके अत्यधिक वीर्य को बर्बाद कर देता है तब भी इस तरह की बीमारी का शिकार बन जाता है।
  • यदि किसी व्यक्ति की पाचन क्रिया में गड़बड़ी रहती है तो यह रोग होने की और ज्यादा संभावनाएँ बढ़ जातीं हैं।
  • यदि किसी को मलेरिया बुखार हो और उसका समय पर इलाज ना हो पाए तो पीलिया भी बन जाता है।
  • जिन स्त्रियों में माशिक धर्म अत्यधिक और बार बार होता है उन्हें भी इस रोग के होने की संका बढ़ जाती है।
  • यदि कोई महिला के प्रसव के दौरान खून ज्यादा मात्रा में निकल जाये तो उसे आने वाले समय में पीलिया होने की संभावनाएँ उग्र हो जातीं हैं।
  • यदि किसी व्यक्ति को टायफाइड, ब्लड से सम्बंधित रोग हो तो ऐसे रोगी को पीलिया बनने के चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
  • असुरक्षित और दूषित भोजन और पानी का सेवन करने से भी इस रोग की स्टार्टिंग होती है।

पीलिया रोग के लक्षण :

इस रोग के वैसे तो बहुत से लक्षण होते हैं पहचान करने के लिए लेकिन में यहाँ आपको कुछ ऐसे प्रमुख लक्षणों के बारे में बताऊंगा जो सर्वाधिक रोगियों में देखे जाते हैं –

  • इस तरह के मरीज की आँखें, नाखून और त्वचा पीली पड़ जाती है।
  • जब किसी व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है तो उसका मूत्र पीले रंग का निकलने लगता है।
  • ऐसे रोगी का सारा शरीर पीला पीला सा दिखने लगता है।
  • ऐसे मरीज को भूख कम लगती है और उसका वजन दिन व दिन कम होता चला जाता है।
  • इस रोग की वजह से व्यक्ति दुर्बलता का शिकार हो जाता है और थोड़ी सी मेहनत करने पर ही बहुत ज्यादा थकावट महशूश करने लगता है।
  • ऐसे मरीज को हल्का बुखार रहता है और शरीर में हमेशा सुस्ती सी छाई रहती है।
  • यदि पीलिया के मरीज का उपचार समय पर न किया जाये तो हाथ पैर और मुँह में सूजन आने लगती है ।

एक बात हमेसा ध्यान रखना चाहिए कि इस रोग के बिना जाँच करवाए कोई भी औषधि या दवा का सेवन नहीं करना चाहिए, इसलिए में आपको बताता हूँ कि इस तरह के मरीज को कौन कौन सी जांचे करवाना ज्यादा लाभकारी रहता है।

पीलिया परीक्षण :

इस रोग के लिए निम्नलिखित जांचों को करवाना ज्यादा सही रहता है –

  1. पेट का अल्ट्रासाउंड परिक्षण।
  2. मल का टेस्ट भी जरुरी होता है।
  3. लीवर बायोप्सी भी करवाना चाहिए।
  4. छाती का एक्स-रे भी करवाना सही रहता है।
  5. यूरिन टेस्ट होना बहुत जरुरी होता है।

तो ये सारे टेस्ट करवाना पीलिया के रोगे के लिए बहुत जरुरी होते हैं जिससे इसकी सही स्थिति का पता चल पाए और ये भी जान लेना संभव हो पाए कि इस रोग की वजह से शरीर के कौनसे पार्ट को कितना डैमेज किया है।

पीलिया में क्या खाएं और क्या ना खाएं :

Jaundice के रोगी को दवा के साथ साथ अपने खान पान पर भी विशेषकर ध्यान देना बहुत जरुरी होता है नहीं तो मरीज पूरी तरह से कभी ठीक नहीं हो पाता।

  • इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा आराम करना बहुत जरुरी होता है।
  • ऐसे मरीज को शक्कर, गुड़ और ग्लूकोज का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए।
  • इस तरह के मरीज को भूख कम लगती है इसलिए उसे थोड़ा थोड़ा करके दिन में कई बार भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • ऐसे रोगी को जब प्यास लगे तो पानी को उबालने के बाद उसे ठंडा करके पीना चाहिए।
  • ऐसे मरीज को सिर्फ हरी साग सब्जियों का ही सेवन करना चाहिए जैसे पालक, हरी प्याज, तोरई लोकी इत्यादि।
  • पीलिया से पीड़ित व्यक्ति को दिन में कम से कम तीन बार गन्ने का रस और फलों में अंगूर, केला, मौसम्मी का सेवन करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को चाय कॉफ़ी सिगरेट तम्बाकू जैसी चीजों से बिल्कुल दूर रहना चाहिए।
  • यदि दूध पीना हो तो एक गिलास दूध में कम से कम आधा पानी मिला हुआ होना चाहिए।
  • ऐसे रोगी को भोजन में बिल्कुल पतली दाल, चावल, खिचड़ी, हरी सब्जियां और पतली पतली रोटियाँ दे सकते हैं।
  • जो व्यक्ति पीलिया से पीड़ित हो उसे कच्ची मूली, गाजर और चुकंदर अच्छी तरह चबा चबा कर खाना चाहिए।
  • तेल युक्त भोजन, मशाला, लाल मिर्च इत्यादि किसी भी रूप में सेवन करना वर्जित होता है।

पीलिया के घरेलू उपचार :

अब में आपको कुछ ऐसे घरेलू उपचारों के बारे में बता देता हूँ जिन्हें प्रयोग करके आप इस रोग से पूरी तरह मुक्ति पा सकते हैं –

[quote]थोड़े से अनार के पत्तों को छाया में सुखा लीजिये और फिर इन्हें पीसकर इनका चूर्ण बना लीजिये, अब इस चूर्ण को आधा चम्मच लेकर एक गिलास छाछ में अच्छी तरह मिलाकर पी लीजिये इसे रोगी को सुबह शाम दिन में दो बार सेवन करना है इससे बढ़िया पीलिया की दवा हो ही नहीं सकती।[/quote]

[quote]कासनी के 20-25 हरे पत्ते लेकर उन्हें अच्छी तरह पीस लीजिये और फिर किसी स्वच्छ कपड़े में रखकर पत्तों का रस निचोड़ लीजिये, इस रस में 2-3 काली मिर्च पीसकर मिला दीजिये, अब इसे सुबह शाम सेवन कीजिए इससे पीलिया बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। यह भी पीलिया का अनोखा इलाज माना जाता है।[/quote]

[quote]कामलाहर रस की एक ग्राम की मात्रा लेकर दो कप छाछ में मिला लीजिये और सेवन कर लीजिये ऐसा सिर्फ दो से तीन दिन तक ही करें जिसके बाद रोग पूरी तरह ठीक हो जायेगा।[/quote]

[quote]एक कप गौ मूत्र में एक ग्राम प्लीहान्तक चूर्ण मिलाकर दिन में दो बार सुबह शाम सेवन करने से इस बीमारी से पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है लेकिन ध्यान रहे गौ मूत्र को किसी स्वच्छ कपड़े से दो तीन बार छानने के बाद ही प्रयोग करना है।[/quote]

इस तरह से कोई भी व्यक्ति पीलिया का इलाज कर सकता है और रोग मुक्त हो सकता है में एक बार फिर से कहना चाहूँगा कि दवा के साथ साथ पीलिया मे परहेज का पालन करना भी बहुत जरुरी होता है।

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