फूड प्वाइजनिंग के लक्षण एवं निदान

फूड प्वाइजनिंग कोई बीमारी नहीं है बल्कि ये ऐसी क्रिया है जो शरीर को सुद्ध करने के लिए प्राकृतिक प्रक्रिया है। ये तब होती है जब हम कोई ऐसी चीज का सेवन कर लेते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक होती है। ऐसी हानिकारक तत्व को व्यक्ति का शरीर बाहर निकालने के लिए उल्टियाँ करता है। यदि किसी भी व्यक्ति को फूड प्वाइजनिंग हो जाती है तो उसके पेट में दर्द, दस्त और उल्टी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ये समस्या तभी उत्पन्न होती है जब हम संक्रमित खाद्य पदार्थ या विषाक्त भोजन का सेवन कर लेते हैं।

फूड प्वाइजनिंग

आज के समय में ऐसे बहुत से लोग हैं जो बाजार में मिलने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन अत्यधिक रूप से सेवन करते हैं जैसे समोसे, कचोरी, मिठाईयां इत्यादि। जितने भी खाद्य पदार्थ मार्केट में उपलब्ध होते हैं और वो खुले में रखे रहते हैं उनमें अक्सर संक्रमण सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।

क्योंकि ठेले पर मिलने वाले खाद्य पदार्थ जैसे समोसे, गुजिया इत्यादि ज्यादातर खुले में रखे रहते हैं जिन पर मख्खियाँ भिनभिनातीं रहतीं है और धूल के साथ अन्य हानिकारक तत्व उड़कर खाद्य पदार्थों में जाकर चिपक जाते हैं और उस खाद्य पदार्थ को पूरी तरह दूषित कर देते हैं।

ऐसे संक्रमित भोजन को खाने से फ़ूड पॉइजनिंग जैसी प्रॉब्लम उत्पन्न होती है, यदि हम साफ सुथरा और ढंका हुआ ताजे भोजन का सेवन करेंगे तो इस तरह की समस्या कभी भी सामने नहीं आती है।

फूड प्वाइजनिंग क्या है ?

ये एक ऐसा अस्थिर रोग है जो पेट में संक्रमण होने की वजह से उत्पन्न होता है, और जो संक्रमण पैदा होता है वो विषैले या संक्रमित भोजन के सेवन करने से उत्पन्न होता है। जैसे कुछ लोग रात का बचा हुआ भोजन दूसरे दिन भी खाते रहते हैं जो कि बहुत हानिकारक होता है। विशेषज्ञ इस तरह के खाद्य पदार्थ को विषाक्त भोजन की श्रेणी में रखते हैं।

यदि भोजन बनाते समय कोई जीव या कीड़े मकोड़े उस में गिर जाएँ और उस भोजन को खाया जाये तो उससे फूड प्वाइजनिंग (food poisoning) का रोग उत्पन्न हो जाता है।

जब किसी व्यक्ति को ये रोग हो जाता है तो उसके पेट में दर्द के साथ साथ उल्टी और दस्त की समस्या से भी सामना करना पड़ता है।

यदि इसका समय पर सही इलाज ना करवाया जाये तो कभी कभी मरीज की हालत ज्यादा भी बिगड़ जाती है और कुछ मरीजों को अपनी जान भी गवानी पड़ती है। यह रोग स्टेफाइलोंकोकाई, ‘क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम’ ‘क्लोस्ट्रीडियम पर फ्रिन्जेंस’ (माँसाहार करने वालों में) के द्वारा होता है।

लेकिन सबसे ज्यादा स्टेफाइलोंकोकस फूड प्वाइजनिंग देखने को मिलती है। ऐसा भोजन जिसमें स्टेफाइलोंकोकाई पहले से मौजूद हो उसे सेवन करने के बाद रोगी में 1-3 घंटे बाद लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।

जो खाद्य पदार्थ सही से फ्रिज में ना रखने पर जैसे दूध, दही, मिठाइयाँ या दूध से बनी अन्य वस्तुएं और मीट इन सबमें स्टेफाइलोंकोकाई एक प्रकार का जहर को उत्पन्न कर देते है ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करने पर व्यक्ति को फूड प्वाइजनिंग हो जाती है।

फूड प्वाइजनिंग के लक्षण :

अब में आपको ये बता देता हूँ कि यदि किसी व्यक्ति को इस तरह का रोग हो जाता है तो उसे कैसे पहचाना जा सकता है कि व्यक्ति को food poisoning की समस्या हुयी है।

  • यदि किसी व्यक्ति को ये समस्या होती है तो इसके लक्षण सामान्यतः एक से तीन घंटे में दिखाई देने लगते हैं।
  • ऐसे रोगी को बहुत तेज उल्टियाँ होने लगतीं हैं या फिर उसका जी मिचलाना स्टार्ट हो जाता है।
  • रोगी के पेट में थोड़ी थोड़ी देर बाद तेज दर्द या मरोड़ होने लगती है।
  • ऐसे मरीज को पतले दस्त होना स्टार्ट हो जाते हैं जिसकी वजह से उसके शरीर में पानी की कमी आने लगती है और हाथ पैर बेजान से हो जाते हैं।
  • यह रोग कुछ ही समय के लिए रहता है, जब विषाक्त पदार्थ पूरी तरह बाहर निकल जाता है तो रोगी की हालत में सुधार होता चला जाता है।
  • कुछ मरीजों को धुँधला और एक चीज की दो चीजें दिखाई देने लगतीं हैं।

फूड प्वाइजनिंग या विषाक्त भोजन के लिए घरेलू उपचार :

अब में आपको कुछ ऐसे घरेलू इलाज के बारे में बताने जा रहा हूँ जिन्हें आप आसानी से घर पर रहकर प्रयोग कर सकते हैं और इनके कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होते हैं।

8-10 तुलसी की ताजी पत्तियाँ लेकर उनका रस निकाल लीजिये और इसमें आधा चम्मच शहद मिलाकर हर एक घंटे के अन्तराल से दो तीन बार सेवन करने से food poisoning की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

एक गिलास पानी लीजिये और उसमें एक नीबू काटकर निचोड़ दीजिये, अब इसमें थोड़ा सा भुना हुआ जीरा पीसकर मिला दीजिये और थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोगी को दिन में तीन बार सेवन करवाइए इससे फूड प्वाइजनिंग की समस्या जल्दी खत्म हो जाएगी और रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो जायेगा।

फूड प्वाइजनिंग की आयुर्वेदिक दवा :

अर्क पोदीना ये राजवैध कंपनी बनाती है, इसे 2-4 बूँद आधा गिलास पानी में मिलाकर सेवन कराने से विषाक्त भोजन की समस्या से छुटकारा मिल जाता है। इसका उपयोग दिन में तीन बार करना ज्यादा अच्छा रहता है।

अमृतधारा लिक्विड इसे अमृतधारा आयुर्वैदिक कंपनी बनाती है इसकी 10 -15 बूँद आधा गिलास पानी में मिलाकर रोगी को सेवन करना चाहिए इसे भोजन विषात्तन के उपचार में सबसे सर्वोच्च माना जाता है।

यदि किसी फूड प्वाइजनिंग के रोगी को उपरोक्त उपचार से कोई फायदा ना हो तो आपको किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श करना ही सबसे अच्छा उपाय माना जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *