बड़ी माता या चेचक का रामबाण इलाज
चेचक (बड़ी माता) एक बहुत ही तीव्रता के साथ वायरस से उत्पन्न होने वाला संक्रामक रोग है। पुराने समय में smallpox को बहुत गंभीर प्रकार की बीमारी समझा जाता था। इस रोग को बड़ी माता भी कहा जाता है और कुछ लोग इसे मसूरिका के नाम से जानते हैं। यह रोग वैरियोला वायरस (Variola Virus) के कारण उत्पन्न होता है और इस बीमारी को किसी स्वस्थ व्यक्ति को रोगी बनाने में 12 से 14 दिन का समय लगता है। चेचक रोग से ग्रसित व्यक्ति को किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में नहीं जाना चाहिए अन्यथा वो भी इसके वायरस से संक्रमित होकर बड़ी माता का सिकार बन जाता है।

यह रोग किसी भी व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर दो तरह से बीमार करता है –
(1) ड्रोप्लेट्स के द्वारा
(2) कुछ हद तक संक्रमित वस्तुयों के प्रयोग करने से भी यह रोग फैलता है
यदि पहले के समय की बात करें तो यह बीमारी लगभग पूरे विश्व में पाई जाती थी लेकिन अब इस रोग का पूरे विश्व से खात्मा हो गया है।
चेचक को जड़ से खत्म करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का 1967 में चेचक उन्मूलन अभियान चलाया था जो पूरी तरह सक्सेस रहा और इस रोग को लगभग समाप्त कर दिया गया।
चेचक के लक्षण:
इसके लक्षणों में दो तरह के चरण पाए जाते हैं जो लगभग दो से तीन दिन के पाए जाते हैं।
- एकदम से ठण्ड लेकर बुखार उत्पन्न हो जाता है इसके साथ ही बैचैनी, सिरदर्द जैसी समस्याएँ दिखाई देतीं हैं और यह स्थिति दो से तीन तक चलती है।
- लगभग तीन से चार दिन के बाद फीवर कम हो जाता है और पूरे शरीर पर दाने निकलना स्टार्ट हो जाते हैं। पहले इन दानों में पानी जैसा तरल भर जाता है और लगभग दसवें दिन इन फफोलों का पानी पस का रूप ले लेता है। आगे के समय में इन पर पपड़ी जम जाती है और तीसरे हफ्ते में पपड़ी शरीर से अलग होना शुरू हो जाती है। लेकिन जब पपड़ी निकल जाती है तो उन जगह पर चेचक के दाग हो जाते हैं जो गड्ढे के समान प्रतीत होते हैं।
अब में आपको इस रोग के बारे में एक विशेष और हमेशा याद रखने योग्य बात बताता हूँ कि यदि किसी को चेचक (smallpox) हो जाता है और वह समय पर उपचार नहीं करवाता है तो उसे सिरदर्द, अस्थि मज्जा एवं अंधापन जैसी विकराल परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है।
इसलिए हम अपने पाठकों को यही सलाह देंगे कि वैसे तो यह रोग अब बहुत ही कम लोगों में होता है फिर भी यदि किसी को ये रोग हो जाये तो इसका समुचित इलाज करवाना अतिआवश्यक है, नहीं तो रोगी अंधा भी हो सकता है।
चेचक के रोगी के लिए सावधानियाँ:
- जिस रोगी को स्माल पॉक्स हो उसे अन्य लोगों से अलग रखना चाहिए।
- ऐसे रोगी को तब तक विस्तर पर आराम करना चाहिए जब तक कि चेचक की पपड़ियाँ सूखकर गिर न जाएँ मतलब दाग पूरी तरह सूख जाना चाहिए।
- ऐसे मरीज को अन्य प्रकार के संक्रमण से बचाकर रखना चाहिए अन्यथा परिस्थिति विकराल हो सकती है।
चेचक का टीका:
यह रोग पूरे देश में पाँच छः साल के अन्दर महामारी के रूप में फैलता था। इसलिए चेचक के टीके अनिवार्य रूप से लगवाना चाहिए। जब से इसके टीके सामूहिक रूप से लगना प्रारंभ हुए हैं तब से लेकर अभी तक लगभग पूरे विश्व में इसके रोगियों की संख्या ना के बराबर रह गयी है।
चेचक का घरेलू उपचार:
- रुद्राक्ष को पानी में घिसकर रोगी के घावों पर लगाने से चेचक के घाव ठीक हो जाते हैं।
- एक बड़ा चम्मच करेले के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोगी को दिन में दो से तीन बार चटाने से अतिशीघ्र लाभ मिलता है।
- हरे करेले को काटकर छोटे छोटे टुकड़े करके पानी में उबाल लीजिये और किसी काँच की शीशी में रख लीजिये। अब उस पानी को दिन में तीन बार शुबह दोपहर और शाम पिलाइए इससे बड़ी माता या चेचक रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
- करेले के पत्तों का रस में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पीने से चेचक में जल्दी आराम मिल जाता है।
चेचक में परहेज:
बहुत से रोगों में बिना परहेज किये जल्दी आराम नहीं मिलता है जिनमें से smallpox भी एक है, मतलब परहेज करना बहुत जरुरी होता है। इसलिए चेचक में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इसकी पूरी जानकारी होना हर एक रोगी के लिए जरुरी है –
- ऐसे रोगी को दूध, मक्खन, पनीर इत्यादि मतलब दूध से बनने वाली चीजों का सेवन करना पूर्णतः प्रतिबंधित है, इसलिए इस तरह के खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए
- वसायुक्त खाद्य पदार्थ जैसे माँस, चोकलेट एवं सूखे नारियल आदि का सेवन करना वर्जित होता है।
- किशमिश, मूंगफली इत्यादि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
- तेल युक्त एवं मिर्च मशालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।
- किसी भी तरह का फास्ट फूड का सेवन करना परेशानी का कारण बनता है खासकर बड़ी माता के रोगी के लिए, इसलिए इस तरह के फूड का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- ऐसे मरीज को खाने के रूप में दलिया, खिचड़ी इत्यादि का सेवन करना ज्यादा फायदेमंद रहता है।