सिर्फ सात दिन में बवासीर जड़ से खत्म
बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को बहुत ही ज्यादा कष्ट से गुजरना पड़ता है इसे अंग्रेजी में पाइल्स (Piles) भी कहा जाता है। जिस व्यक्ति को यह रोग हो जाता है वह ना तो आराम से बैठ पाता है और ना ही ज्यादा चल फिर पाता है। वैसे बवासीर दो प्रकार की होती है बादी और खूनी बवासीर। लेकिन आमतौर पर सबसे ज्यादा बादी और खूनी पाइल्स ही देखने को मिलती है। हो सकता है आपको यकीन ना हो लेकिन सच तो यही है कि जितनी भी बीमारियाँ होतीं हैं उन्हें व्यक्ति खुद ही निमंत्रण देता है फिर चाहे खान पान की वजह से हो या अन्य कोई कारण हो।

चाहे किसी व्यक्ति को बादी बवासीर हो या खूनी बवासीर इसकी उत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण पेट की खराबी ही होता है। ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिन्हें कब्ज की सिकायत रहती है उन्हें इस छोटी सी प्रॉब्लम की वजह से आने वाले समय में पाइल्स रोग का भी सामना करना पड़ता है।
कब्ज का सबसे बड़ा कारण समय समय पर भोजन ना करने मौषम और ऋतु के हिसाब से भोजन ना करना, अत्यधिक मिर्च मशालेदार भोजन का सेवन करना, बहुत ज्यादा और नियमित रूप से माँसाहार करना भी कब्ज की उत्पत्ति का कारण होता है।
इसी कब्ज की प्रॉब्लम से व्यक्ति का पेट साफ नहीं होता जिसकी वजह से उसके पेट में ही मल सड़ता रहता है जो धीरे धीरे सूखने लगता है जिसकी वजह से व्यक्ति के पेट में दर्द और पेट फूलने की भी समस्या उत्पन्न होती है।
बवासीर क्या है ?
जब भी ऐसा व्यक्ति जिसके पेट में मल सूख गया हो वो मल विसर्जन करते समय अत्यधिक दवाव डालता है जिससे मल निकल जाये इसी दवाव की वजह से मल त्याग करने वाली जगह या मल द्वार की जगह की स्किन छिल जाती है और वहाँ घाव बनना प्रारम्भ हो जाता है।
ऐसी ही स्थित लम्बे समय तक बनी रहने की वजह से वही जख्म मस्सो में परिवर्तित हो जाता है जिसे मस्सा बवासीर या बवासीर के मस्से कहा जाता है।
जब किसी व्यक्ति के गुदा द्वार में मस्से हो जाते हैं तो मल त्याग करते समय कुछ मस्से बाहर निकल आते हैं और कुछ मस्से खुद ही मल विसर्जन के बाद अन्दर चले जाते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद ये सभी मस्से स्थायी रूप से गुदा द्वार के बाहर निकल आते हैं फिर वो अन्दर नहीं जाते हैं।
यही मस्से मल त्याग करने पर रगड़ने लगते हैं जिसकी वजह से इनमें सूजन आ जाती है और कुछ मस्से सूजकर बड़े हो जाते हैं जिसके बाद इनमें बहुत तेज जलन होने लगती है जिससे रोगी हमेशा बैचैन रहने लगता है।
यदि मस्से का इलाज उपयुक्त समय पर नहीं किया गया तो इन मस्सों से खून निकलने लगता है जो आगे चलकर खूनी बवासीर रोग बन जाता है।
यदि खूनी बवासीर का इलाज भी समय पर ना लिया जाये तो रोगी के शरीर से अत्यधिक ब्लड निकल जाने की वजह से उसके शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है जिसकी वजह से उसकी स्किन का रंग पहले पीला और बाद में सफेद होने लगता है।
पाइल्स के रोगी का शरीर बेहद कमजोर होता चला जाता है जिसकी वजह से रोगी के उठने बैठने पर ही आँखों के सामने अँधेरा छाने लगता है।
पाइल्स रोग या बवासीर के कारण :
वैसे तो बवासीर रोग के बहुत से कारण होते हैं लेकिन में यहाँ पर आपको कुछ प्रमुख कारणों के बारे में बता रहा हूँ जिससे आपको नॉलेज हो जायेगा कि आखिर ये बीमारी क्यों होती है –
- ऐसी महिलाएँ जो कई बार शिशु को जन्म दे चुकीं हैं उन्हें इस अर्श रोग या पाइल्स की बीमारी का सामना सबसे ज्यादा करना पड़ता है।
- यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा मैथुन करता है तो उसे भी यह रोग होने की ज्यादा संभावनाएँ बढ़ जातीं हैं।
- नियमित समय पर भोजन ना करना, शराब, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना, यूरिन से सम्बंधित बीमारी और मूत्राशय में पथरी की सिकायत होने की वजह से भी बवासीर रोग की उत्पत्ति होती है।
- यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा चाय कॉफी का सेवन करता है तो उसे भी ये समस्या हो सकती है।
- गर्म मसाले, चटनी और रायता जैसी चीजें अत्यधिक प्रयोग करने से भी ये सिकायत हो सकती है।
- यदि कोई व्यक्ति दूध का सेवन करने के बाद माँसाहार नहीं करना चाहिए और ना ही दूध पीने के बाद लहसुन और नमक का सेवन करना चाहिए अन्यथा पाइल्स रोग की संभावनाएँ प्रवल हो जातीं हैं।
- यदि कोई व्यक्ति पर्याप्त भोजन का सेवन नहीं करता तो वो भी इस बवासीर रोग का शिकार हो सकता है।
- यदि कोई अत्यधिक धूम्रपान और गुटखा सुपारी का प्रयोग करता है तो इस रोग के होने के ज्यादा चांस बढ़ जाते हैं।
पाइल्स या बवासीर के लक्षण :
अब में आपको इस रोग की पहचान के बारे में प्रमुख रूप से बता देता हूँ जिससे आपको मालूम हो जायेगा कि यदि ये रोग होता है तो इसे स्टार्टिंग में ही कैसे पहचाना जा सकता है।
जैसा कि में ऊपर भी बता चुका हूँ कि पाइल्स दो प्रकार की होती है एक बादी बवासीर और दूसरी खूनी बवासीर। इसलिए में इनके लक्षणों के बारे में प्रथक प्रथक रूप में बताने जा रहा हूँ –
बादी बवासीर के लक्षण :
- यदि किसी रोगी इस रोग से पीड़ित है तो उसके मस्से गुदा के अन्दर रहते हैं और उनमे किसी प्रकार का खून नहीं निकलता लेकिन दर्द बहुत तेज होता है।
- ऐसे रोगी का मल कठोर होने पर मल त्याग करते समय असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है और मस्से भी छिल जाते हैं जिसकी वजह से उसे जलन के साथ तीव्र खुजली होती है जो अत्यधिक कष्टदायक होती है।
- ऐसे रोगी का हाथ बार बार गुदा को खुजलाने की कोशिश करता रहता है।
खूनी बवासीर के लक्षण :
- इस रोग में रोगी की गुदा से कभी भी रक्त निकलने लगता है जिससे वो मानसिक रूप से कष्ट का को भोगता है।
- रोगी की गुदा से अनचाहे समय पर भी या बैठे बैठे ही या चलते फिरते ही खून निकलने की वजह से उसके कपड़े भी ख़राब हो जाते हैं।
- जिस व्यक्ति को पाइल्स की सिकायत होती है वो कभी भी सीधा तनकर बैठ नहीं पाता और ना ही सीधा तनकर चल पाता है।
- गुदा में बहुत तेज दर्द होता है और कभी कभी पीड़ा के साथ साथ तेज जलन भी होती है।
- जिस रोगी को यह रोग होता है वो आसानी से मल त्याग नहीं कर पाता मतलब शौच करते समय उसे बहुत तीव्र पीड़ा का सामना करना पड़ता है।
- यदि रोगी को पाद भी आती है तो गैस निष्कासन भी नहीं होता जिसकी वजह से रोगी के पैरों में पीड़ा होती है और चेहरा एकदम फीका पड़ जाता है।
बवासीर का घरेलू इलाज :
यहाँ पर में आपको बवासीर के घरेलू उपचार के बारे में बताने जा रहा हूँ जिन्हें कोई भी रोगी घर पर रहकर आसानी से अपना पाइल्स रोग का इलाज कर सकता है।
खूनी बवासीर का उपचार –
[quote]थोड़े से आम के पेड़ के हरी कोमल पत्तियों को लीजिये और इसे पानी के साथ पीस लीजिये और उसे अच्छे कपड़े से छान लीजिये अब इस रस में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर सुबह शाम सेवन कीजिये ये खूनी बवासीर के लिए सबसे बढ़िया घरेलू उपचार है।[/quote]
[quote]5 ग्राम नागकेसर चूर्ण को नाशपाती के मुरब्बे के साथ सेवन करने से भी खून निकलना बहुत जल्दी बंद हो जाता है ये भी खूनी बवासीर का उपचार सबसे अच्छा माना जाता है। इसे भी बवासीर का अचूक इलाज माना जाता है। [/quote]
बादी बवासीर का इलाज –
[quote]10 ग्राम गुलकंद को एक गिलास गर्म दूध के साथ रात को सोते समय सेवन करने से बादी बवासीर में बहुत जल्दी आराम मिलता है।[/quote]
[quote]आधा चम्मच आंवले का चूर्ण गर्म पानी के साथ सुबह शाम दोनों टाइम सेवन करने से भी पाइल्स रोग में जल्दी आराम मिल जाता है।[/quote]
[quote]तुलसी के ताजे पत्तियों को पीसकर मस्सों पर लेप करने से मस्से बहुत जल्दी खत्म हो जाते हैं लेकिन इसका लेप गुदा को गर्म पानी से साफ करने के बाद ही लगाना चाहिए।[/quote]
[quote]20 ग्राम नीम की हरी पत्तियाँ और 20 ग्राम पीपल की हरी पत्तियाँ लेकर उन्हें बारीक़ पीस लीजिये और फिर गुदा को गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करके उस पर इस लेप को लगा लीजिये इससे मस्से नस्ट हो जायेंगे।[/quote]
बवासीर के लिए मलहम :
पाइलेक्स आयन्टमेंट – यह एक हिमालय company की क्रीम है जिसे मल त्याग करने के बाद गुदा को गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करने के बाद रोगी को गुदा पर ऊँगली से लगाना होता है इससे संक्रमण रोकने में मदद मिलती है तथा बवासीर के दर्द को भी कम करती है।
बवासीर मलहम – ये एक वैधनाथ company की मलहम है जिसे शौच जाने के बाद दिन में दो बार सुबह शाम लगाना चाहिए।
बवासीर मे क्या खाये और क्या ना खायें :
इस रोग के उत्पन्न होने के कारण खान पान में लापरवाही होता है इसलिए रोगी को सबसे पहले परहेज और खान पान पर विशेष ध्यान देना होता है। सबसे पहले तो इस बात से सजग रहना होगा कि कि रोगी को दवाई के दौरान कब्ज की सिकायत ना हो और ना ही वो गरिष्ठ खाद्य पदार्थो का सेवन करे जिससे पेट में बिल्कुल भी कब्ज प्रॉब्लम उत्पन्न ना हो।
- ऐसे रोगी के लिए मिर्च मशालेदार भोजन का सेवन करना पूरी तरह वर्जित होता है।
- बवासीर के रोगी को चाय और कॉफ़ी का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- भोजन करने के तुरन्त बाद सोना बिल्कुल भी सही नहीं होता है।
- कभी भी ऐसे रोगी को मूत्र को ज्यादा समय तक रोककर नहीं रखना चाहिए।
- रोगी को सुबह जल्दी उठकर टहलने के लिए जाना बहुत जरुरी होता है।
- मल त्याग करने से 10 मिनट पहले एक गिलास पानी का सेवन करना चाहिए।
- भोजन में सर्वाधिक हरी सब्जियाँ खाना चाहिए।
- बवासीर के रोगी को हर दिन दोपहर के समय एक गिलास छाछ क सेवन जरुर करना चाहिये।
बवासीर में परहेज करना बहुत जरुरी होता है इसलिये उपचार के समय उपर बतायी गयीँ बातोँ को याद रखना बहुत जरुरी है। लेकिन याद रहे समय रहते चिकितस्क से भी परामर्श करना बहुत जरुरी है।