मोटापा कम करना है ? पेट की चर्बी कैसे कम करें
ज्यादातर मोटापा महिलायों में सर्वाधिक रूप से पाया जाता है, इसके अलावा जो अमीर लोग होते हैं उनमें यह समस्या आमतौर पर देखी जाती है। क्योंकि ऐसे लोगों को खाने की किसी प्रकार की कमी नहीं होती है और शारीरिक मेहनत का भारी अभाव होता है। हमारे देश में यह प्रॉब्लम अमीर वर्ग के लोगों में ही अत्यधिक रूप से देखने को मिलती है। ऐसे व्यक्ति जिन्हें मोटापा की सिकायत हो उन्हें गर्मी बर्दास्त नहीं होती है और नींद भी बहुत ज्यादा सताती है। ऐसे लोग थोड़ी सी ही मेहनत करने पर बहुत ज्यादा थकावट महसूस करने लगते हैं।

मोटापा क्या है :-
व्यक्ति के शरीर में बहुत ज्यादा वसा संचित होने के कारण शारीरिक वजन बढ़ने की परिस्थिति को मोटापा कहते हैं। मतलब मापदंडों के अनुसार यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब शरीर का भार व्यक्ति की उम्र एवं लिंग के प्रमाणिक वजन से 10 से 20% अधिक हो। इसको अंग्रेजी में ओबेसिटी भी कहा जाता है।
मोटापा के लक्षण :
यदि देखा जाये तो स्टार्टिंग में कोई परेशानी नहीं होती सिवाय इसके कि ज्यादा चर्बी के कारण शरीर भद्दा दिखता है, लेकिन धीरे धीरे शारीरिक गतिविधियाँ कम होने लगतीं हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होतीं हैं।
मोटे व्यक्तियों के जीवन की मियाद सामान्य व्यक्ति की तुलना में कम होती है। ऐसे व्यक्ति में अत्यधिक वसा होने के कारण उसके ऊतकों में रक्त पहुँचाने के लिए अधिक ब्लड नलिकायों की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण ह्रदय पर बहुत ज्यादा लोड पड़ता है और ह्रदय निकास बढ़ जाता है।
मोटे व्यक्तियों में रक्त भार बढ़ जाता है तथा Left Ventricular hypertrophy होना निश्चित हो जाता है। ब्लड में कोलेस्ट्रोल तथा ट्राईग्लिसराइड दोनों प्रकार के लिपडो की मात्रा बढ़ जाती है जिससे धमनी में प्रॉब्लम होने की समस्या होती है।
ऐसे व्यक्तियों में डायबिटीज होने की चार गुना से भी ज्यादा संभावनाएँ प्रवल रहती हैं। इसके अलावा मोटे व्यक्तियों में गठिया, पित्ताशय में पथरी, चपटे पैर, हर्निया, क्रानिक ब्रोन्काइटीस, त्वचा का मोटा होना तथा पसीना की अधिकता से त्वचा संक्रमण इत्यादि की संभावनाएँ बनी रहतीं हैं।
मोटापा के कारण :
इस प्रॉब्लम के उत्पन्न होने के मुख्यतः तीन कारण होते हैं –
- अत्यधिक भोजन ग्रहण करना।
- आनुवांशिक प्रवृत्ति।
- अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों का प्रभाव।
चलिए अब हम इन्हें विस्तार से पढ़ते हैं जिससे दिमाग में उपजने वाले कई तरह के सवालों का जवाब आपको स्वतः ही मिल जाये –
- जरुरत से ज्यादा भोजन का सेवन – लगभग 95% से भी ज्यादा व्यक्तियों में अत्यधिक आहार का सेवन करना ही मोटापे का कारण बनता है। अत्यधिक सेवन किया गया भोजन शारीरिक क्रियायों में हुए खर्च से ज्यादा होता है। जिसकी वजह से वह वसा या चर्बी के रूप में इकठ्ठा होने लगता है, खासकर ऐसी स्थिति में जब व्यक्ति को शारीरिक मेहनत कम करनी पड़ रही हो।
- आनुवांशिक प्रवृत्ति – मोटा होने की प्रवृत्ति पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। यदि किसी व्यक्ति के माता पिता मोटे हैं तो उसके बच्चे भी मोटे होते हैं।
- अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों का प्रभाव – जिन अन्तःस्त्रावी व्याधियों में मोटापा होता है वो इस प्रकार हैं जैसे थायरायड अल्पता, जनन ग्रंथि अल्पता एवं कुशिंग संलक्षण। बहुत ज्यादा मोटे व्यक्तियों में एक ऐसी परिस्थिति आती है कि उनमें पल्मोनरी हाईपरटेंशन तथा दायाँ ह्रदयपात होने की सम्भावना होती है।