खराब रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) हो सकती है जानलेवा

रोग प्रतिरोधक क्षमता:- चिकित्सा पद्धति में ऐसा कहा जाता है कि जिस शरीर में कोई दुर्गुण अथवा कोई रोग न हो उसे स्वस्थ कहा जाता है और जो शरीर स्वस्थ होता है उसकी प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़िया होती है। शरीर की ऊँचाई, वजन और बलिष्ठता को स्वास्थ्य के रूप में परिभाषित किया जाता है। शरीर स्वस्थ, आकर्षक और निरोगी सिर्फ तभी रह सकता है जब शरीर की देखभाल अच्छी तरह की जाये और रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो।

खराब रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) हो सकती है जानलेवा

इसमें व्यक्ति का भोजन, रहन सहन, व्यक्ति के मन में स्वच्छ विचार और पर्यावरण बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। जब भी इन चीजों में किसी प्रकार का असंतुलन उत्पन्न हो जाता है तो वो व्यक्ति रोगों का शिकार हो जाता है।

ऐसी स्थित में नियमपूर्वक खानपान, बुरी आदतों का त्याग, तनाव मुक्त, शारीरिक मेहनत, नियमित सोना जागना और प्रदूषण से जितना हो सके उतना बचने की कोशिश करना चाहिए।

रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के प्रमुख कारण:

अक्सर पाया गया है कि जब तक व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहती है तब तक उसे कोई बीमारी छू भी नहीं पाती है। लेकिन जैसे ही प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है वैसे ही व्यक्ति को कई तरह के रोग घेरना शुरू कर देते हैं।

इसलिए हमें सर्वप्रथम अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति के ऊपर पूरा ध्यान देना चाहिए और इस शक्ति को दुर्बल करने वाली चीजों के बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी होता है। ऐसी चीजों में अनियमित खानपान, अनियमित दिनचर्या, शारीरिक मेहनत का अभाव, अत्यधिक मानसिक तनाव और प्रदूषण का जबरदस्त योगदान होता है।

अनियमित खानपान

यह हर एक व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर करने वाला सबसे महत्वपूर्ण घटक है। तली हुयी खाद्य सामग्री, मशाले, मिठाइयाँ और अत्यधिक शीत पदार्थ जैसे इसक्रीम, कोल्ड्रिंक इत्यादि के उपयोग करने से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है।

आज के समय में प्रतिदिन मिर्च मशालेदार चटपटे भोजन और फास्टफूड बनाने और खाने की होड़ सी लगी रहती है। यदि शादा भोजन भी अत्यधिक मात्रा में किया जाये तो वह भी पाचन शक्ति के लिए बोझ बन जाता है, यदि कोई व्यक्ति बार बार भोजन करे तब भी पाचन शक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसलिए एक बार खाने के बाद जब तक वो सही से पच न जाये तब तक दुबारा कोई अन्य पदार्थ खाना पूरी तरह अनुचित होता है।

अस्त व्यस्त जीवनशैली

शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को अच्छा बनाने के लिए जीवनशैली का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन आज के इस टेक्नोलॉजी के दौर में हर एक व्यक्ति का जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चुका है। न ही कोई खाने का समय है और न ही सोने का समय। जब जी चाहा कुछ भी किसी भी समय खा लिया और जब चाहे सो लिया चाहे रात्रि के 3 बजे हों या दिन दस बजे हों।

जब सोने और खाने का समय अनियमित हो जाता है तब जागने और अन्य दैनिक कार्यों का समय भी अनियमित हो जाता है, मतलब पूरी तरह अनियमित जीवनशैली को हम कब अपना लेते हैं इसका व्यक्ति को कोई अहसास भी नहीं होता। जिसके फलस्वरूप व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर होती चली जाती है जिसकी वजह से उसके जीवन पर बिमारियों के रूप में भयंकर संकट उत्पन्न हो जाता है।

इस शक्ति के क्षीर्ण होने पर स्टार्टिंग में सामान्य रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे कब्ज की सिकायतपेट में गैस बनना, बदहजमी इत्यादि। जिसके कारण शरीर के अन्दर मल जमा होकर अनेक प्रकार के घातक रोगों को निमंत्रण देने लगता है।

बुरी आदतें

यदि स्वास्थ्य को अच्छे बनाये रखना है तो बहुत सी गंदी आदतों को अपने से दूर रखना भी बहुत जरुरी होती हैं क्योंकि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति को इन बुरी आदतों से भी बहुत ज्यादा क्षति पहुँचती है।

जैसे शराब का सेवन करना, तम्बाकू गुटखा को चवाना, चाय या कॉफी का सेवन करना, चरस और गाँजा जैसी अत्यधिक नशीली चीजों का सेवन व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बुरी तरह नष्ट कर देतीं हैं।

व्यक्ति के शरीर में पाई जाने वाली यह प्रतिरोधक शक्ति विटामिनों पर आधारित होती है और नशीले पदार्थ शरीर में उपस्थित विटामिनों को नष्ट कर देते हैं जिसकी वजह से या क्षमता कमजोर पड़ती चली जाती है।

कुछ महान विशेषज्ञों ने अपने प्रयोग में यह पाया है कि व्यक्ति के एक सिगरेट के पीने से उसके शरीर में उपस्थित विटामिनों में से 25 मिलीग्राम विटामिन सी का खात्मा हो जाता है।

मेहनत का अभाव

आज के समय में लोग उल्टा सीधा खाने में मस्त रहते हैं लेकिन परिश्रम के नाम पर खुद को दूर खड़ा हुआ देखते हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें मेहनत के नाम से घ्रणा करते हुए देखे जाते हैं। आज के समाज ने शारीरक मेहनत को तो मानो त्याग ही दिया हो और ऐसे लोग परिश्रम करने वाले व्यक्ति को निम्न स्तर का भी मानने से भी परहेज नहीं करते हैं।

आज के इस कंप्यूटर के युग में कुर्सी पर बैठकर या तकिया का सहारा लेकर बुद्धि से काम करने वालों का सम्मान दिन दूना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है। जिसका नतीजा ये है कि समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा बिना शारीरिक मेहनत के अपना जीवन बिता रहा है। मेहनत के बिना शारीरक शक्ति कमजोर होती चली जा रही है।

मानसिक तनाव

आज के भौतिकवादी युग में व्यक्ति के मस्तिष्क में अनेक कारणों की वजह से तनाव उत्पन्न होता चला जा रहा है कोई ज्यादा पैसे कमाने के लिए दिमाग पर अत्यधिक दबाव डाल रहा है तो कोई दिन और रात बिना सोये अत्यधिक काम में व्यस्त है।

मानसिक तनाव आधुनिक जल्दबाजी और कठिन जीवन का ही परिणाम है, जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत धातक साबित हो रहा है। जिस तरह बुरी आदतें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को आघात पहुँचातीं हैं ठीक वैसे ही मानसिक तनाव भी शरीर के विटामिनों को नष्ट करने का काम करता है।

प्रदूषण

यदि हम भारत की बात करूँ तो देश के बड़े शहरों या महानगरों का सबसे बुरा हाल है। बड़े शहरों में प्रदूषण ने अपना डेरा इस तरह जमा रखा है कि यहाँ स्वांस लेना भी अत्यधिक खतरनाक साबित होता है।

और इस तरह से प्रदूषण बढ़ने का कारण ये है कि बड़े शहरों में लगातार उध्योगों और यातायात के साधनों में लगातार इजाफा होता जा रहा है जिनसे निकलने वाला कार्बन डाई ऑक्साइड व्यक्ति के फेफड़ों और अन्य बड़े पार्ट को क्षतिग्रस्त करने में लगा हुआ है। प्रदूषण का व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर गंभीर दुष्प्रभाव डालता है।

अब में समझाता हूँ आपको समझ आ गया होगा कि शरीर के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का क्या योगदान है और आज के समय में यह किस तरह कमजोर पड़ती जा रही है। यदि आप रोग प्रतिरोधक शक्ति के बारे में हमारे साथ कुछ शेयर करना चाह ते हैं तो कमेंट करके अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें।

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