हेपेटाइटिस-B के कारण एवं लक्षण

हेपेटाइटिस बी एक वायरस का संक्रमण होता है, जो लीवर को क्षतिग्रस्त करता है। लीवर में सूजन के कारण हल्का हल्का बुखार हो जाता है। यह बीमारी वयस्कों में काफी गम्भीर रूप धारण कर लेती है। इसको B वायरस लीवर सूजन (Hepatitis-B) या सीरम लीवर सूजन (Serum Hepatitis) इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। हेपेटाइटिस-B की अभी तक कोई उचित चिकित्सा को नहीं बनाया जा सका है, क्योंकि यह वायरस डिजीज है। इस बीमारी में रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की और अत्यधिक मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है।

हेपेटाइटिस-B

हेपेटाइटिस-B के कारण या हेपेटाइटिस बी कैसे होता है:

यह रोग निम्नलिखित कारणों की वजह से उत्पन्न होता है –

  • यह बीमारी योनक्रीड़ा के दौरान भी फैल सकती है। इस रोग से पीड़ित लोगों के सीरम में HBs Ag एंटीजन मौजूद हो उनके साथ फिजिकल रिलेशन बनाने पर यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
  • ऐसे लोग जो समलेंगिक रिलेशन बनाते हैं उन लोगों में इस बीमारी के पनपने की सबसे ज्यादा संभावनाएँ रहतीं हैं।
  • ऐसी औरत जो गर्भवती होने के आखरी तीन महीने में इस रोग से ग्रसित हो गयी हो उसका नवजात शिशु भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है। ये परेशानी किसी भी समुदाय में थोड़ी बहुत पाई जा सकती है।
  • यदि ऐसा कोई पुरुष जो इस रोग से पीड़ित हो और वह किसी महिला से (जो रोग मुक्त है) सम्बन्ध बनाता है तो ऐसी स्थिति में महिला पार्टनर भी इस गंभीर बीमारी से पीड़ित हो सकती है।
  • यदि कोई महिला इस बीमारी से परेसान है और वह किसी रोग मुक्त पुरुष के साथ सम्बन्ध स्थापित करती है तो ऐसी स्थिति में भी वो पुरुष पार्टनर इस रोग से ग्रसित हो सकता है।

हेपेटाइटिस बी के लक्षण :

चलिए अब हेपेटाइटिस बी की पहचान करने के बारे में जान लेते हैं जिससे आप आसानी से पहचान सकते हैं कि और उसके लिए उचित कदम उठा सकते हैं। हेपेटाइटिस-B रोग के लक्षण निम्न प्रकार होते हैं –

  • ऐसे रोगी जो इस रोग से पीड़ित होते हैं उन्हें भूख नहीं लगती है। रोगी को खाने पीने की बिल्कुल इच्छा नहीं होती है, ऐसे रोगी कई कई दिन तक कुछ भी खाते पीते नहीं है।
  • कभी कभी ऐसे रोगियों के लीवर के पास दर्द होता है।
  • हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव मरीज को हल्का बुखार हो सकता है और कुछ दिनों बाद आँखें पीली पड़ जातीं हैं।
  • इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में अत्यधिक थकान, भोजन न करने की इच्छा, जी मिचलाना इत्यादि समस्यायें देखीं जातीं हैं।
  • रोग की शुरुवात में रोगी को थोड़ा थोड़ा बुखार, पेट के उपरी हिस्से में दर्द तथा गाढ़े रंग का मूत्र आता है।
  • रोग के शुरू होने के तीन से सात दिनों के बाद पीलिया दिखने पर ज्यादातर रोगियों में जी मिचलाना, भूख की कमी और हल्का बुखार जैसी प्रॉब्लम प्रायः विलुप्त हो जाती हैं।
  • ऐसे रोगी को खाना देखने या उसकी महक से ही उल्टी हो जाती है।
  • पेसाब गहरी भूरी या पीली आने लगती है और मल सफेद सा आना प्रारंभ हो जाता है।
  • ऐसा व्यक्ति जिसे हेपेटाइटिस-B की सिकायत हो वह लगभग दो हफ्ते तक बहुत ज्यादा बीमार पड़ सकता है और एक से तीन महीने तक बहुत कमजोर भी रह सकता है।
  • ऐसा रोगी जिसकी आँखों में पीलापन आ गया हो वह इस बीमारी को तीन हफ्ते तक दूसरों लोगों में भी बाँट सकता है और इस तरह से अन्य लोगों में भी यह बीमारी फैल सकती है।

हेपेटाइटिस बी के उपचार :

जैसा कि में पहले ही उल्लेख कर चुका हूँ कि इस रोग की अभी तक कोई स्थायी चिकित्सा नहीं खोजी जा सकी है क्योंकि यह एक वायरस के संक्रमण के कारण होता है। ऐसे रोगी को जितना हो उतना आराम करना चाहिए, और बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।

ऐसे मरीज को ज्यादा से ज्यादा गन्ने का रस, संतरे का जूस, दाल एवं सब्जियों का सूप देना चाहिए। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को उल्टियों की भी समस्या होती है तो जितना हो सके वोमेटिंग को कण्ट्रोल करना चाहिए।

ऐसे मरीजों को शराब का सेवन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। यदि रोगी को पीलिया की सिकायत बहुत ज्यादा है या फिर वह बेहोशी की अवस्था में है तो उसका इलाज किसी अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती कराकर करवाना चाहिए।

यदि मरीज को खून की कमी है तो उसका भी इलाज होना बहुत जरुरी होता है। अतः ऐसा रोगी जो हेपेटाइटिस-B का शिकार है उसका किसी अच्छे डॉक्टर की देखरेख में इलाज करवाना बहुत ही जरुरी होता है इसलिए में आपको यही सलाह दूँगा कि ऐसे रोग से पीड़ित व्यक्ति को जितना जल्दी हो सके हॉस्पिटल में हेपेटाइटिस बी की दवा करवाना ही समझदारी हो सकती है।

हेपेटाइटिस-B के बचाव के लिए क्या करना चाहिए ?

  • Hepatitis-B का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मल से होकर मुँह के द्वारा शरीर में पहुँच जाता है, जोकि प्रदूषित पानी एवं खाने के द्वारा पहुँचता है।
  • जो व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हो उसके मल को जमीन के अन्दर गड्डा खोदकर गाढ़ देना चाहिए जिससे अन्य लोग इस संक्रमण से बचे रहें।
  • हमेशा नाखून समय समय पर काटते रहना चाहिए जिससे उनमें गंदगी जमा न हो पाए, क्योंकि यही गंदगी भोजन के साथ मुँह में चली जाती है जिससे संक्रमण का खतरा होने की संभावनाएँ बहुत ज्यादा हद तक बढ़ जातीं हैं।
  • हमेशा ढंके हुए और ताजे भोजन को ही अपना आहार बनाना चाहिए।
  • हमेशा शुद्ध और स्वच्छ जल का ही सेवन करना चाहिए।
  • जो व्यक्ति रोगी की देखभाल करता हो उसे पूरी सावधानी बरतनी चाहिए और अपने हाथों को हर बार साबुन पानी से धोना चाहिए।
  • ऐसे रोगी की देखभाल करने वाले सदस्यों को पीने के पानी को अच्छी तरह उबालकर और उसे ठंडा करने के बाद पीना चाहिए।
  • हेपेटाइटिस-B का टीकाकरण करवाएँ जिससे भविष्य इस रोग का शिकार कभी नहीं होना पड़ेगा।

हेपेटाइटिस-B का टीकाकरण:

इस रोग से पूरी तरह बचने के लिए हेपेटाइटिस-B का टीका लगवाएं जो आज कल आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसका टीका तीन चरणों में संपन्न होता है इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि ठीक समय पर तीनों चरण टीकाकरण के कम्पलीट होने चाहिए।

पहला टीका – पहले दिन

दूसरा टीका – एक माह बाद

तीसरा टीका – 6 माह बाद

हेपेटाइटिस-B का टीका शून्य से लेकर 10 साल के बच्चों के लिए भी उपलब्ध होता है और वयस्कों के लिए भी उपलब्ध है। इस प्रकार के टीकाकरण करवाके हेपेटाइटिस-B से बचा जा सकता है।

अंत में एक सलाह देना चाहूँगा कि जो व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित है उससे किसी भी प्रकार के लैंगिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए अन्यथा पार्टनर को भी यह संक्रमण युक्त रोग लग जायेगा।

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