हल्दी के चमत्कारी फायदे एवं औषधीय गुण
हल्दी की भारत के सभी इलाकों में खेती की जाती है इसके पौधे अदरक के जैसे ही होते हैं। दोनों की लम्बाई व पत्तों में काफी समानता पाई जाती है। लगभग सभी घरों भोजन सामग्री बनाने में इसका का प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है। इसलिए इसके बारे में हर एक व्यक्ति अच्छी तरह परिचित होता है। इसे हीरदी, हर्दी, हरिद्रा, हलदर, हलद इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। इसके पौधे तीन से चार फुट लम्बाई तक के होते हैं। इसके पत्ते केले के पत्तों के जैसे होते हैं जो सामान्यतः डेढ़ इंच लम्बे तथा इतने ही चौड़े आयताकार, मालाकार तथा आगे की ओर से थोड़े से नोंकदार होते हैं।

इसके पत्तों की सुगंध आम के पत्तों की सुगंध की तरह ही होती है और फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी जड़ में कंद युक्त गाँठें होतीं हैं उसे ही हम सब हल्दी के रूप में जानते हैं।
इसका का रंग पीला या नारंगी होता है इसका उपयोग कच्चे रूप में रंग तैयार करने में सर्वाधिक किया जाता है। खाने के काम में सिर्फ उबली हुयी सूखी हल्दी को प्रयोग में लाया जाता है।
जैसा कि मैंने ऊपर बताया है कि यह जमीन के अन्दर पैदा होती है इसका उपयोग मशालों तथा औषधियों दोनों रूप में किया जाता है। इसमें एक विशेष प्रकार की गंध होती है। यह गर्म, वातकारक, पित्तनासक तथा स्वाद में कड़वी होती है। हल्दी के प्रमुख औषधीय उपयोग निम्न प्रकार हैं –
हल्दी के औषधीय गुण एवं घरेलू नुस्खे:
चोट का दर्द –
यदि किसी व्यक्ति को चोट लग जाये तो एक चम्मच पिसी हुयी हल्दी एक गिलास दूध में मिलाकर पीने से चोट के दर्द में जल्दी आराम मिल जाता है।
घाव भरने के लिए –
पिसी हुयी हल्दी को घी या तेल में मिलाकर गरम करें और फिर उसमें रुई भिगोकर प्रतिदिन नियमित रूप से घाव पर पट्टी बाँधें। इससे घाव बहुत ही जल्दी भर जाता है और जख्म ठीक हो जाता है।
दाँतों के रोग –
भुनी हुयी हल्दी को बारीक पीसकर दर्द वाले दांतों पर मलें इससे दांत के कीड़े मर जाते हैं और दांत दर्द भी ठीक हो जाता है।
घाव में कीड़े पड़ने पर –
पिसी हुयी हल्दी को घाव पर भुरकने पर घाव के कीड़े मर जाते हैं इसके साथ ही घाव जल्दी भर आता है।
स्तनों में दर्द –
हल्दी की एक गाँठ पानी में घिस लीजिये जिसके बाद उसका लेप स्तनों पर हाथों से कीजिये इससे स्तनों का दर्द पूरी तरह नष्ट हो जाता है।
पेट गैस –
पिसी हुयी हल्दी और नमक दोनों समान मात्रा में लेकर गरम पानी से सेवन कीजिये पेट में बनने वाली गैस तुरंत समाप्त हो जाएगी।
आँखों के रोग –
एक छोटा चम्मच पिसी हल्दी को 500 ग्राम पानी में मिलाकर अच्छी तरह उबालिए और जब पानी एक चौथाई रह जाये तो किसी स्वच्छ कपड़े से छानकर रख लीजिये। अब प्रतिदिन इसे सुबह शाम दो दो बूंद आँखों में डालिए। इस मिश्रण को सिर्फ तीन दिनों तक ही उपयोग करें उसके बाद नया मिश्रण इसी प्रकार बनाकर प्रतिदिन बताये गए तरीके से प्रयोग करें। इससे आँखें लाल हो जाना, आँखों में दर्द और आँखों से पानी बहने पर अत्यंत लाभ होता है।
पिसी हुयी हल्दी में आवश्यकता के अनुसार पानी डालकर सफेद पतले कपड़े को उस लेप से रंग कर उसे आँखों पर बाँध दें इससे आँखों का दर्द खत्म हो जाता है।
पुरानी खाँसी –
सुबह के समय 250 ग्राम बकरी के ताजे दूध में 10 ग्राम हल्दी पाउडर डालकर अच्छी तरह उबाल लीजिये और जब आधा रह जाये तो उसे हल्का ठंडा होने तक छोड़ दीजिये और उसके बाद 5 ग्राम शहद मिलाकर पीने से पुरानी खाँसी ठीक हो जाती है।
मुँह के छाले –
एक लीटर पानी में 10-15 ग्राम हल्दी पाउडर मिलाकर अच्छी तरह उबालिए और जब पानी लगभग आधा लीटर रह जाये तो उसे ठंडा करके किसी बढ़िया काँच की शीशी में भरकर रख लीजिये। अब सुबह शाम इस पानी से कुल्ला एवं गरारे करें. इससे मुँह के छाले दो ही दिन में खत्म हो जायेंगे।
त्वचा को साफ सुथरा और गोरा बनाने के लिए –
हिन्दू परिवार में हल्दी का बहुत बड़ा महत्त्व होता है इसीलिए प्रत्येक मांगलिक अवसरों पर इसका प्रयोग प्रमुख रूप से किया जाता है। शरीर को साफ सुथरा एवं गोरा बनाने के लिए हल्दी के साथ बेसन और चन्दन मिलाकर इसका उबटन किया जाता है।
चोट मोच और सूजन –
चोट, मोंच और सूजन पर चूना, प्याज एवं हल्दी पाउडर को एक साथ मिलाकर गर्म करके लगाने पर बहुत ही जल्दी आराम मिल जाता है।
चर्म रोग –
चर्म रोग पर तिल के तेल में हल्दी के पाउडर को मिलाकर लेप बना लीजिये फिर इसको रोग वाले स्थान पर लगाने से चर्म रोग ठीक हो जाता है।
बवासीर रोग –
थूहर के दूध में हल्दी पाउडर को मिलाकर मस्से पर लेप करने से बवासीर का मस्सा ठीक हो जाता है। लेकिन इस दौरान गुदा को गर्म पानी से साफ करना बहुत जरुरी है इसलिए लेप लगाने से पहले गर्म पानी से गुदा को अच्छी तरह साफ कर लें।
प्रमेह रोग –
हल्दी पाउडर, शहद, तथा आंवले का रस इन तीनों को एक साथ लेने से प्रमेह रोग में बहुत जल्दी लाभ मिलना स्टार्ट हो जाता है।
तो इस तरह हल्दी का उपयोग विभिन्न रोगों में उपचार के रूप में किया जाता है, यदि आप इस जानकारी के बारे में कोई अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं तो कमेंट करके हमें जरुर बताएं. इसके साथ ही इस जानकारी को फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करके अन्य लोगों को भी जागरूक बनाने की कोशिश करें।