एसिडिटी क्या है? जब किसी व्यक्ति के अमाशय में एसिड या अम्ल की मात्रा ज्यादा होने लगती है तो उसे खट्टी डकार आना प्रारंभ हो जाती है जिसे हम एसिडिटी कहते हैं। इस रोग को आयुर्वेद में अम्लपित्त भी कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति नमक खट्टे खाद्य पदार्थ तथा बहुत ज्यादा गर्म चीजें प्रयोग करता है जिसकी वजह से पित्त की अधिकता हो जाती है जिसके फलश्वरूप अम्ल रस की अधिकता होने लगती है और इसी एसिड के अस्त व्यस्त होने को हाइपर एसिडिटी या हार्टवर्न कहा जाता है। ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिन्हें खट्टी डकार जलेबी खाने के बाद आना शुरू हो जाती है।
यदि देखा जाये तो खट्टी डकार का मतलब ही एसिडिटी की प्रारंभिक अवस्था होती है। ज्यादातर इस रोग में रोगी को भूख लगना बिल्कुल कम हो जाती है और रोगी खुद को अन्दर से कमजोर सा महशूश करता है।
ऐसे रोगी को बिना परिश्रम किये ही अत्यधिक थकान, चक्कर आना, हाथ पैरों में दर्द, एक दम से आँखों के सामने अँधेरा छा जाना इत्यादि परेशानियाँ महशूश करते हैं।
जिन लोगों को एसिडिटी प्रॉब्लम होती हैं उनका मल पतला मतलब ढीली अवस्था में निकलता है ऐसे मरीजों में से कुछ लोग कब्जियत की सिकायत करते पाए जाते हैं।
यदि अम्लपित्त एसिडिटी जल्दी ठीक ना हो तो रोगी के शरीर पर छोटी छोटी फुंसियाँ होना प्रारंभ हो जातीं हैं जिनमें हल्की हल्की खुजली भी होती है।
एसिडिटी से परेसान व्यक्ति के जोड़ों में पीड़ा होती रहती है, मुँह का स्वाद एकदम खराब हो जाता है, उसका भोजन करने का थोड़ा सा भी मन नहीं करता, ठीक से नींद भी नहीं आती है।
यदि कोई व्यक्ति इस रोग से लम्बे समय से पीड़ित रहता है तो ऐसे रोगियों के सिर के बाल सफेद होने लगते हैं जिसके बाद झड़ना स्टार्ट हो जाते हैं इसके साथ ही उसके व्यवहार में क्रोध और चिडचिडापन साफ देखने को मिलता है।
वैसे में आपको बता दूँ कि खट्टी डकार का दूसरा नाम अपच भी होता है क्योंकि ये समस्या सीधे आपकी पाचन क्रिया से रिलेटेड होती है।
इसे भी पढ़ें: मुँह के छालों को ठीक करने का अचूक नुस्खा
एसिडिटी के लक्षण (Acidity symptoms in hindi):
अब में आपको इस रोग की पहचान करने के बारे में कुछ बातें बताने जा रहा हूँ जिनके द्वारा आप इस रोग को आसानी से पहचान सकते हैं –
जिन लोगों को एसिडिटी की प्रॉब्लम होती हैं उनके छाती के ठीक बीचों बीच जलन होती है जिसे हम सीने में जलन होना भी कहते हैं।
ऐसे रोगी की यूरिन (पेशाब) लाल या अत्यधिक पीले रंग का निकलता है और मल विसर्जन के समय ऐसा प्रतीत होता है जैसे बहुत ज्यादा गर्म मल निकल रहा हो।
ऐसे रोगी की आँखों में जलन, माथे पर अत्यधिक गर्मी, हतेलियों और पैरों के तलवों में बहुत तेज जलन होती है। लेकिन इस रोग के स्टार्टिंग की स्थिति में जलन वाले लक्षण ज्यादा दिखाई नहीं पड़ते हैं। लेकिन जब एसिडिटी की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है तब जलन वाले लक्षण खुलकर सामने दिखाई देने लगते हैं।
ऐसे मरीज को हमेशा ऐसा प्रतीत होता रहता है जैसे उसे थोड़ा थोड़ा बुखार आ रहा हो लेकिन ऐसी स्थिति में बुखार की दवाई लेना बिल्कुल लाभकारी नहीं होती है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इस हल्के बुखार को थर्मामीटर से भी पता नहीं लगाया जा सकता। ये स्थिति वास्तव में एसिडिटी की वजह से उत्पन्न होती है।
इसे भी पढ़ें: फूड प्वाइजनिंग क्या है फ़ूड पोइज़निंग ट्रीटमेंट एट होम
एसिडिटी के कारण:
यह रोग आमाशय में एसिड की बहुत ज्यादा मात्रा बनने के कारण उत्पन्न होता है। नॉर्मल अवस्था में आमाशय के अन्दर छोटी छोटी ग्रन्थियों से निकलने वाला हाईड्रोक्लोरिक एसिड भोजन को पचाने में मदद करता है लेकिन जब यही एसिड आवस्यकता से ज्यादा मात्रा में बनना प्रारंभ हो जाता है तो छाती में के अन्दर उपस्थित भोजन नली में जलन होने लगती है।
- यदि कोई व्यक्ति समय समय पर नियमित रूप से भोजन का सेवन नहीं करता है तो उसे इस रोग का सामना करना पड़ सकता है।
- यदि भोजन में अधिक मिर्च, अचार एवं गर्म मशालों को प्रयोग में लाया जाये तो एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
- यदि रात्रि के समय अधिक चिकनाई युक्त भोजन का सेवन करने के बाद बिना थोड़ा बहुत टहले तुरंत बिस्तर पर सो जाना इस बीमारी को आमंत्रित करता है।
- यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक गुटखा, तम्बाकू एवं चूना, कत्थे वाला पान ज्यादा खाता है तो उसे एसिडिटी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- किसी व्यक्ति को यदि मानसिक तनाव लम्बे समय तक बना रहता है तो उसे इस रोग से सामना करना पड़ सकता है।
- जो व्यक्ति अत्यधिक शराब और धूम्रपान का सेवन करते हैं उनमें एसिडिटी की प्रॉब्लम बहुत जल्दी उत्पन्न होती है।
ये मैंने आपको कुछ प्रमुख कारणों के बारे में जानकारी दी है जिन्हें अपने जीवन से दूर रखकर अपच और एसिडिटी जैसे रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।
यदि इस रोग को ज्यादा दिनों तक इग्नोर किया जाता है तो आगे चलकर पेट में अल्सर हो जाने की संभावनाएँ प्रवल हो जातीं हैं। ऐसी स्थिति में आमाशय में तेज पीड़ा होती रहती है। एसिडिटी ज्यादा समय की होने पर पतले दस्त के साथ आँव और पित्त निकलने की भी सिकायत हो जाती है।
इसे भी पढ़ें: मस्से एवं बवासीर का अचूक इलाज
एसिडिटी के घरेलू उपाय (Gharelu nuskhe for acidity in hindi):
पुदीने की कुछ पत्तियाँ दो गिलास पानी में डालकर उबाल लीजिये और जब पानी आधे से भी कम रह जाये तो उसे छानकर सेवन कीजिये इससे खट्टी डकारें भी बंद हो जातीं हैं और acidity भी खत्म हो जाती है। इसे अतिउत्तम एसिडिटी का उपचार माना जाता है।
एक नीबू को काटकर एक गिलास पानी में निचोड़ लीजिये और अब उसमें आधा चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर सेवन कीजिये इससे सीने की जलन में तुरंत आराम मिलता है और इसे दिन में तीन बार सेवन करने से अम्लपित्त पूरी तरह ठीक हो जाती है। इसे सर्वोत्तम एसिडिटी का इलाज माना जाता है।
आँवला, सूखे हुए गुलाब के फूल और थोड़ी सी सोंफ इन सबको पीसकर चूर्ण बनाकर रख लीजिये और प्रतिदिन सुबह के समय खाली पेट एक चम्मच ताजे पानी के साथ सेवन करने से खट्टी डकार और एसिडिटी की समस्या जल्दी खत्म हो जाती है।
नीम के पेड़ की थोड़ी सी छाल लीजिये और उसे रात्रि के समय पानी में डुबोकर रख दीजिये अब सुबह के समय उस पानी को छानकर सेवन कीजिये इससे अम्लपित्त से जल्दी मुक्ति मिल जाती है। ये भी सबसे बढ़िया एसिडिटी की दवा कही जाती है।
उपरोक्त घरेलू नुस्खों में से किसी एक एसिडिटी का घरेलू उपचार अपनाकर आप अपनी इस रोग से उत्पन्न होने वाली समस्या का समाधान कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: पेट की गैस का रामबाण इलाज
एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार (Acidity problem solution in hindi):
यदि आप इस रोग को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार करना चाहते हैं तो इसके लिए टेबलेट और सीरप (syrup) में से किसी एक का आवस्यकता के अनुसार उपयोग कर सकते हैं –
एसिडिटी के लिए टेबलेट :-
टेबलेट नाम | निर्माता आयुर्वेदिक कंपनी | सेवन विधि | |
---|---|---|---|
1. | अभायासन (Abhayassan) | Jhandu | सुबह और शाम दिन में दो बार एक एक गोली गुनगुने पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। |
2. | गैसक्योर (Gascure) | Janta | दिन में दो बार एक एक गोली सुबह शाम ठंडे पानी के साथ ले सकते हैं। |
3. | एसिडिनोल (Acidinol) | Ban | सुबह शाम एक एक गोली पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। |
4. | मेनोल (Manoll) | Charak | एक एक गोली खाने के बाद पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। |
एसिडिटी के लिए Syrup :-
Syrup नाम | निर्माता आयुर्वेदिक कंपनी | सेवन विधि | |
---|---|---|---|
1. | इफसिड (Efcid) | Dabur | सुबह शाम प्रतिदिन एक एक चम्मच सेवन कर सकते हैं। |
2. | वोमिटेब (Vomitab) | Charak | दिन में तीन बार सुबह दोपहर और शाम एक एक चम्मच ले सकते हैं। |
3. | एसीडोसिड (Acidocid) | Yamuna Pharmacy | दिन में दो बार एक एक चम्मच सेवन कर सकते हैं। |
4. | कार्मीजाल (Carmizal) | Shiva Pharma | दिन में दो बार भोजन बाद दो दो चम्मच सेवन कर सकते हैं। |
इसे भी पढ़ें: उल्टियाँ होने के कारण और उनका सही उपचार
एसिडिटी के रोगी को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए ?
- ऐसे रोगी को मैदायुक्त किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
- आलू, गरिष्ठ भोजन, ज्यादा मात्रा में सुगर या शक्कर का सेवन करना पूर्णतः वर्जित है।
- गुड़, मिर्च, मशलेदार भोजन और खट्टी चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
- सुबह के समय नास्ते के रूप में दलिया सेवन कर सकते हैं।
- दोपहर के समय भोजन के रूप में पतली पतली 2-4 रोटियां मूँग की दाल के साथ सेवन करना चाहिए।
- ऐसे रोगी को एक गिलास दूध में आधा पानी मिलाकर सेवन करना ज्यदा ठीक रहता है।
- एसिडिटी के रोगी मक्खन, आँवला और अनार का सेवन कर सकते हैं इसके अलावा किसी भी फल का सेवन करना ठीक नहीं होता है।
consider taking herbal supplement for acidity.