सौंफ के चमत्कारी फायदे एवं घरेलू उपचार
सौंफ घरेलू उपचारों में एक विशेष स्थान रखती है। इससे अनेकों रोगों का इलाज किया जाता है। में तो आपसे यही कहूँगा कि यदि आप सौंफ का सेवन दिन में चार बार खाना खाने के बाद करें तो उन्हें कोई पेट रोग ही नहीं हो सकता। सौंफ का पौधा भारत के हर एक प्रान्त में पाया जाता है इसके पौधे सोये के समान ही होते हैं जिनकी ऊँचाई लगभग चार से पाँच फुट तक होती है। इन पौधों में छत्ते लगते हैं जिन पर लाल फूल उगते हैं और प्रत्येक छत्ते में लगभग 100 फूल निकलते हैं जो दानों का रूप ले लेते हैं।

सौंफ के दाने अत्यधिक सुगन्धित होते हैं इनमें 4% उड़नशील और शेष स्थिर तेल पाया जाता है। यह हल्की तीक्ष्ण, पित्तकारक तथा गरम होती है. इसे शतपुष्पा, मौरी, शुल्फा, वरिपाली, शोंफ भी कहा जाता है। सौंफ का वैज्ञानिक नाम Foeniculum vulgare है।
सौंफ के उपयोग और घरेलू उपचार:
सौंफ का अर्क पेट दर्द में देने से अपच या बदहजमी की समस्या दूर हो जाती है। शोफ का सेवन ठंडे पानी के साथ सेवन करने से मुत्रावरोध की परेशानी खत्म होती है तथा शरीर का तापमान भी ठीक हो जाता है।
सौंफ का सामान्य सेवन मुख की दुर्गन्ध तथा सूखी खाँसी में लाभकारी होता है। लू लगने पर इसके पत्ते को बारीक पीसकर सिर पर लेप करने से आराम मिलता है। इसका उपयोग विशेष रूप से अतिसार, अजीर्ण, प्लीहा रोग इत्यादि रोगों में किया जाता है।
सौंफ का सेवन तृष्णानाशक होता है इसके अर्क के सेवन से प्यास नहीं लगती एवं पित्तज्वर पूरी तरह ठीक हो जाता है।
कब्ज रोग –
जिन लोगों को कब्ज की प्रॉब्लम रहती है उन्हें चार चम्मच सौंफ एक गिलास पानी में उबालकर प्रतिदिन पीनी चाहिए। कुछ ही दिन में कब्ज की परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी।
बादी बवासीर –
सौंफ और मिश्री दोनों को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लीजिये और एक चम्मच गाय के दूध के साथ सुबह शाम सेवन करने से बादी बवासीर पूरी तरह ठीक हो जाती है।
खूनी बवासीर –
5 ग्राम जीरा, 10 ग्राम सौंफ और 5 ग्राम सूखी धनिया इन तीनों को एक गिलास पानी में उबालिए और जब पानी आधा रह जाये तो उसे किसी अच्छे कपड़े से छान लीजिये। अब इसमें एक चम्मच देसी घी मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन कीजिये खूनी बवासीर ठीक हो जायेगा।
खुजली –
सौंफ और धनिया समान मात्रा में बारीक पीसकर इसमें डेढ़ गुना घी और दो भाग चीनी मिलाकर रखें। अब सुबह शाम 30-30 ग्राम की खुराक के हिसाब से एक हफ्ते तक सेवन कीजिये इससे खुजली ठीक हो जाएगी।
याददास्त बढ़ाएं –
कुछ लोग अपनी याददास्त खो देते हैं अथवा उनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है तो ऐसे लोगों को सौंफ को थोड़ा सा कूटकर ऊपर का छिलका उतर दें। फिर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीसकर छान लें और किसी छोटे डब्बे में भरकर रख लीजिये। अब इसे सुबह के समय तथा रात के समय गाय के दूध के साथ सेवन करने से खोयी हुयी स्मरण शक्ति वापस आ जाती है तथा पहले से भी तेज हो जाती है।
मुँह के छाले –
कुछ लोगों के मुँह में अक्सर छाले होते रहते हैं उनके लिए भी खाना खाने के बाद थोड़ी सौंफ सेवन करने से मुँह के छालों से मुक्ति मिल जाती है।
आँखों के रोग –
भोजन करने के ठीक बाद एक एक चम्मच सौंफ को प्रतिदिन सुबह शाम दोनों टाइम खाने से आँखों की रोशनी बढ़ जाती है।
पेचिस रोग –
भुनी हुयी सौंफ और मिश्री दोनों को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह बारीक पीस लीजिये और किसी काँच की शीशी में भरकर रख लीजिए। अब इसे दिन में चार बार एक एक चम्मच सादा पानी के साथ सेवन कीजिये इससे पेचिस में आराम मिलता है।
50 ग्राम सौंफ तथा 50 ग्राम भुनी हुयी छोटी हरण इन दोनों को पीसकर चूर्ण बना लीजिये और इस चूर्ण में 100 ग्राम देशी खांड मिला लीजिये। अब इस चूर्ण की 15 ग्राम की मात्रा के हिसाब से सादा पानी या चावल के मांड के साथ पेचिस के रोगी को सेवन करना चाहिए इससे पेचिस की सिकायत जल्दी ठीक हो जाती है।
पेसाब में जलन –
यदि किसी व्यक्ति को रुक रुककर जलन के साथ पेसाब हो रही हो तो एक दिन पुराने पानी में सौंफ पीसकर मूत्रांग पर मोटा लेप करें इसके साथ ही बतासे में सौंफ के अर्क या इसके तेल की 10-15 बूंदे डालकर रोगी को खिलायें पेसाब में जलन होना तुरंत बंद हो जाएगी।
आँव आना –
सौंफ के तेल की 4-5 बूँदें थोड़ी सी शक्कर में मिलाकर प्रतिदिन तीन चार बार लेने से सभी प्रकार का आँव दूर हो जाता है।
पेट दर्द –
पेट में गैस बनने के कारण उत्पन्न हुए पेट दर्द में सौंफ का काढ़ा पियें। इसका प्रयोग करने से छाती के अनेक रोगों से भी निजात मिल जाती है।
अजीर्ण रोग या बदहजमी –
जीरा एवं सौंफ दोनों को समान मात्रा में मिलाकर तवे पर थोड़ा सा सेंककर प्रतिदिन भोजन के बाद चबायें अपच या बदहजमी नष्ट हो जाएगी।
मानसिक कमजोरी –
सौंफ को हल्का हल्का कूट लें फिर उसके ऊपर के छिलके उतारकर छान लें। अब उसमें इतनी ही मिश्री मिलाकर उसे अच्छी तरह पीस लीजिये और किसी छोटे डब्बे में भरकर रख लीजिये। अब एक एक चम्मच चूर्ण को ठंडे पानी या हल्के गर्म दूध के साथ प्रतिदिन सुबह शाम दो बार रोगी को सेवन कराना चाहिए इससे मानसिक कमजोरी समाप्त हो जाएगी।
धूम्रपान की आदत छोड़ना –
थोड़ी सी सौंफ को घी में सेंककर रख लीजिये और जब भी धूम्रपान की तीव्र इच्छा हो तो आधा चम्मच की मात्रा सेवन कर लीजिये ऐसा करने पर जल्द ही आपको धूम्रपान से छुटकारा मिल जायेगा।
अनिद्रा या नींद न आना –
सौंफ का काढ़ा बनाइये और आधा कप काढ़े में काला नमक मिलाकर सुबह और शाम के समय पीने से अच्छी नींद आती है और कुछ ही दिनों में अनिद्रा रोग से छुटकारा मिल जाता है।
दस्त रोग –
यदि किसी को पतले दस्त हो रहे हों तो तीस ग्राम सौंफ को 10 ग्राम गाय के घी में भूनकर बारीक छलनी से छानकर समान मात्रा में देशी खांड मिलाएं फिर इसे दिन में तीन चार बार ताजा पानी से दस्त के रोगी को सेवन कराएँ इससे मरीज को तुरंत पतले दस्त से आराम मिल जायेगा।
पेट में जलन –
यदि किसी व्यक्ति को पेट में जलन हो रही हो तो सौंफ का सरबत बनाइये और उसमें आधा नीबू का रस निचोड़कर दिन में दो तीन बार देने से जल्दी आराम मिल जाता है।
तेज बुखार –
यदि किसी रोगी को तेज बुखार आ रहा हो तो 10-10 ग्राम सौंफ का अर्क दो तीन बार पिलाने से बुखार उतर जाता है।
कब्ज की समस्या –
5 ग्राम सोंफ पिसी हुयी रात्रि के सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ दो तीन दिनों तक लगातार सेवन करने से रोगी की कब्जियत पूरी तरह ठीक हो जाती है।
अरुचि, भूख न लगना या एनोरेक्सिया बीमारी –
यदि कफ, वात और पित्त गड़बड़ाने के कारण अरुचि पैदा हो जाये या भूख लगना बंद हो जाये तो भोजन के बाद 20 ग्राम सौंफ का अर्क लगभग 7 दिनों तक लेने से भूख खुलकर लगने लगती है और एनोरेक्सिया जैसी घातक बीमारी होने से बच सकते हैं।
चक्कर आना –
5 ग्राम सौंफ के चूर्ण में 5 ग्राम खांड मिलाकर सेवन करने से चक्कर आना बंद हो जाते हैं।
मंदाग्नि रोग –
थोड़ी सी सौंफ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लीजिये और इस चूर्ण को गुड़ में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम खाना खाने के बाद सेवन कीजिये इससे मंदाग्नि रोग पूरी तरह समाप्त हो जाता है।
गर्भपात रोकना –
50 ग्राम सौंफ में 30 ग्राम गुलकंद मिलाकर अच्छी तरह पीस लीजिये फिर उसे पानी में मिलाकर गर्भवती स्त्री को प्रतिदिन एक बार पिलाते रहे। इससे स्त्री का गर्भपात होना रुक जायेगा।
बच्चे न होना या बाँझपन –
100 ग्राम सोंफ को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लीजिये और प्रतिदिन 5-6 ग्राम चूर्ण गाय के घी के साथ तीन महीने तक नियमित रूप से सेवन करने पर भारी और मोटे शरीर वाली बाँझ स्त्री गर्भधारण करने योग्य हो जाती है।
यदि महिला दुबली पतली हो तो इसी प्रयोग में इतनी ही मात्रा में शतावरी चूर्ण मिलाकर सेवन कराएँ। स्त्री गर्भवती के लायक हो जाएगी और उसका बाँझपन समाप्त हो जायेगा।
बच्चे के दांत निकलना –
गाय के दूध में थोड़ी सी सौंफ उबालें फिर इसे छानकर दिन में चार बार एक एक चम्मच की मात्रा में बच्चे को पिलायें। बच्चे के दांत बिना किसी परेशानी के जल्दी निकल आयेंगे।
पेट की मरोड़ –
3 ग्राम भुनी हुयी और 3 ग्राम कच्ची सौंफ में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर रोगी को सेवन कराने से उसके पेट में होने वाली मरोड़ ठीक हो जाती है और पेट भी साफ हो जाता है।
अब आप खुद सोच सकते हैं कि सौंफ कितनी फायदेमंद चीज है और इसका विभिन्न रोगों के लिए घरेलू इलाज के रूप में किस प्रकार उपयोग किया जाता है। यदि आप इस जानकारी के सन्दर्भ में अपनी कोई प्रतिक्रिया देने चाहते हैं तो कमेंट करके हमें बता सकते हैं। इसके साथ ही सौंफ के इन घरेलू उपचारों के बारे में जानकारी को फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये जिससे दूसरे लोग भी इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।